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VIDEO: कोरोना के संकट में भी केदारनाथ पैदल मार्ग पर इस तरह चल रहा बर्फ हटाने का मिशन

भारत में इस समय कोरोना संक्रमण का खतरा अपने चरम पर है जिसके बाद से पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया है। अब तक भारत में एक तिहाई जिले कोरोना संक्रमण की जद में आ चुके हैं जिसके बाद अब तक पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले 4789 से अधिक हो चुके हैं और 124 से अधिक लोगों की अब तक मौत भी हो चुकी है। उत्तराखंड में भी अब तक कोरोना संक्रमण के 31 मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में भी हर कोई अपने घर के अन्दर ही इन दिनों रह रहा है और बहुत जरुरी होने पर ही राशन और किसी अन्य काम के लिए बाहर जा रहा है।

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उत्तराखंड पर कोरोना का सबसे ज्यादा असर कहीं पड़ने वाला है तो वो है चारधाम यात्रा पर क्यूंकि मई और जून ही यात्रा सीजन के लिए सबसे उपयुक्त होता है जब लाखों श्रद्धालु प्रदेश में यात्रा करने आते हैं। आपको बता दें इस बार यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट 26 अप्रैल को खुलने हैं वहीं केदारनाथ 29 अप्रैल को और बद्रीनाथ 30 अप्रैल को खुलने हैं। अब तक की जानकारी के अनुसार घोषित तिथि को मंदिर के कपाट तो खुल जायेंगे पर शायद वहां श्रद्धालु दर्शन न कर पायें।

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चारधाम यात्रा मार्ग पर सबसे अधिक चुनौतियों का सामना केदारनाथ में करना पड़ता है क्यूंकि पूरे 18 किमी लम्बे मार्ग पर जगह-जगह बर्फ की चट्टानें बन जाती हैं और यात्रा मार्ग से पहले पूरे रास्ते को साफ़ करने की एक बड़ी चुनौती भी सरकार के सामने रहती है। इस बार मार्च महीने तक अत्यधिक बर्फबारी रहने के कारण और कोरोना संक्रमण के दोहरे खतरे के बीच यात्रा मार्ग पर मजदूर रास्ते से बर्फ हटाने के लिए जीतोड़ मेहनत करने में लगे हुए हैं।

भीम बली से केदारनाथ मंदिर तक का रास्ता कुल 9 किलोमीटर का है और इसी रास्ते में सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 95 लोगों की टीम इस बर्फ को धीरे-धीरे हटाने का काम कर रही है। हालांकि, एक दिन में 300 मीटर तक रास्ता ही साफ हो पा रहा है। 1 मार्च से रास्ते की सफाई का काम सुचारू कर दिया गया था। इसे 20 अप्रैल तक पूरा किया जाना निश्चित किया गया है। जिस रास्ते को साफ किया जा रहा है, उसमें 3 फीट गहराई तक बर्फ जमा है। मंदिर के नजदीक 7 फीट गहराई तक बर्फ जमी है। किसी भी तरह की मशीनें यहां आ नहीं सकतीं, इसलिए गेंती-फावड़े से ही धीरे-धीरे बर्फ  हटाई जा रही है।


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