परियों की कहानियाँ हर किसी को बचपन से ही अपनी और आकर्षित करती रही हैं। इंसानों से उनके प्रेम के किस्से भी हमने सुने हैं और माना जाता है कि परियां बहुत सुन्दर होती हैं और ये जिस व्यक्ति पर मेहरबान हो जाती हैं उसे मालामाल बना देती हैं। अगर थोड़ी देर के लिए किस्से और कहानियों की दुनियां से बाहर निकलें तो देवभूमि उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है जहाँ के लोग आज भी वनदेवियों और परियों को देखने का दावा करते हैं।
टिहरी जिले में स्थित खैट पर्वत पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मनोरम है। खैट पर्वत समुद्रतल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। खैट पर्वत के चरण स्पर्श करती भिलंगना नदी का दृश्य देखते ही बनता है। खैट गुंबद आकार की एक मनमोहक चोटी है। इस चोटी में मखमली घास से ढका एक खूबसूरत मैदान है। कहा जाता है कि खैट पर्वत की नौ श्रृंखलाओं में नौ परियों का वास है। ये नौ देवियां नौ बहनें हैं। जो आज भी यहां अदृश्य शक्तियों के रूप में यहां निवास करती हैं। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनाज कूटने के लिए जमीन पर बनाई जाने वाले ओखली यहां दीवारों पर बनी है। बड़े बड़े वैज्ञानिक भी इस जगह पर आकर हैरान हैं।
अद्धभुत बात यह है कि इस वीराने में स्वत ही अखरोट और लहसुन की खेती भी होती है। अखरोट के बागान लुकी पीड़ी पर्वत पर मां बराडी का मंदिर है जो एक गुफा की तरह है। भूलभुलैय्या जैसी गुफा जहां नाग आकृतियां उकेरी हुई हैं। नैर-थुनैर नामक दो वृक्ष जिसके पत्तों से महकती है अजीबोगरीब खुशबू। थात गांव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर खैटखाल मंदिर है। ये मंदिर खुद में कई रहस्यों को समेटे हुए है। इस मंदिर में परियों की पूजा होती है और जून में यहां पर विशाल मेला लगता है। अगर आप खैट पर्वत जाना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। कहते हैं परियों को शोर-शराबा, तेज संगीत और चटकीले रंग पसंद नहीं हैं। जो लोग प्रकृति के साथ ही रोमांच का भी अनुभव करना चाहते हैं, उनके लिए खैट पर्वत किसी जन्नत से कम नहीं।