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उत्तराखंड में यहाँ बनती है वो दवाई, जिसके न मिलने पर ट्रंप ने दे दी भारत को धमकी

कोरोना से वक्त वक्त सबसे बड़ी मुश्किल का सामना अगर कोई कर रहा है तो वो है दुनियां में सुपर पॉवर कहलाने वाला अमेरिका। कोरोना संक्रमण ने अमेरिका को भी घुटनों के बल खड़ा कर दिया है। कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मरीज इस वक्त अमेरिका में ही हैं जिनकी संख्या बढ़कर 4 लाख के आसपास पहुँच गयी है है मरने वालों का आंकड़ा 13 हजार के आसपास पहुँच गया है। दुनियां भर में अब तक कोरोना की कोई भी वैक्सीन नहीं बन पाई है जिसके बाद अभी तक इसके इलाज में अन्य दवाइयों का ही प्रयोग किया जा रहा है। अभी तक की रिसर्च के अनुसार मलेरिया में दी जाने वाली दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन इसमें बहुत ज्यादा उपयोगी बतायी जा रही है।

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अमेरिका में यह दवाई अधिक नहीं बनती है जिसके पीछे बड़ा कारण तो यह है कि वहां मलेरिया बीमारी बहुत ही कम मात्र में होती है वहीँ भारत में हर साल बड़ी मात्र में मलेरिया संक्रमण के मामले सामने आते है तो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का भी अधिक निर्माण किया जाता है। अब अमेरिका मदद के लिए भारत की राह देख रहा है। ट्रम्प इस दवाई के न मिलने पर भारत को यह धमकी भी दे चुके हैं कि अगर वो यह दवाई अमेरिका को नहीं देता है तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

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जिस दवाई से अमेरिका इस वायरस से लड़ने के लिए वैक्सिन तैयार करना चाहता है, वह दवाई उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बनती है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई का उत्पादन भारी मात्रा में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पास स्थित सेलाकुई के सिडकुल में किया जा रहा है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और कोलोगिन फॉस्फेक्ट लेरियागो टैबलेट की इस समय अधिक जरूरत महसूस हो रही है, भारत सरकार ने दवाई बनाने वाली कंपनियों को उत्पादन करने के लिए तुरंत आदेश दिए गए. इनमें देहरादून की कंपनी इप्का भी शामिल है।

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लॉकडाउन के चलते देशभर में फिलहाल सभी कंपनियों में काम बंद पड़ा हुआ था लेकिन खबर है कि सेलाकुई के सिडकुल की एक कंपनी इप्का को खोला गया है। कंपनी के प्लांट हेड गोविंद बताते हैं कि प्लांट को खोलने में स्टाफ की काफी दिक्कत आ रही है। सभी स्टाफ इस महामारी से बहुत घबराए हुए हैं। ऐसे में देहरादून पुलिस ने मदद की और न केवल सभी स्टाफ को समझाया बल्कि पुलिस ने उनके आने-जाने की भी अच्छी व्यवस्था की ताकि प्लांट में सभी कर्मचारी आसानी से आ सकें। अब देश की जरूरत को पूरा करने के लिए इस कंपनी के कर्मचारी दिन-रात शिफ्ट में काम कर रहे हैं।


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