देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण की मार अब तक ऐसी रही है कि निकट भविष्य में इससे उभरने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड की बात करैं तो यहाँ के लगभग आधे लोगों को रोजगार चारधाम यात्रा की वजह से ही चलता है लेकिन अब इस बार स्थिति बहुत ही भायावह रहने के संकेत मिल रहे हैं। पर्यटन व्यवसायिओं के अनुसार उनके पास जो मई और जून महीने की बुकिंग थी वो सब अब तक कैंसिल की जा चुकी हैं और सभी पयर्टन व्यवसायी इन दिनों यात्रिओं का पैंसा वापस करने में ही लगे हुए हैं।
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अब कोरोना संकट के बीच चारधाम यात्रा को लेकर ही संशय के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। अब तक मिली जानकारी के अनुसार मंदिरों के कपाट तो मुहूर्त के अनुसार तय तिथियों पर ही खोल दिए जाएंगे, लेकिन भगवान के दर्शनों के लिए भक्त कब उनके धाम पर पहुंचेंगे, अभी तक यह तस्वीर साफ़ होती नजर नहीं आ रही है। इस समय राज्य व जिलों की सीमाएं पूरी तरह से बंद की गयी हैं। यात्रा कारोबार से जुड़े लोगों की निगाहें इसी बात पर लगी हैं, लेकिन राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए सीमाएं विगत कुछ समय तक यात्रियों के लिए खोलने पर अभी संदेह ही नजर आ रहा है।
बदरीनाथ धाम की गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा की तिथि में परिवर्तन भी किया गया है। गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा 18 की बजाए 24 अप्रैल को सादगी के साथ राजदरबार से सीधे बद्रीनाथ के लिए रवाना किया जाएगा। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार के सामने कोरोना महामारी से निपटने की चुनौती है। चारधाम यात्रा में यात्रियों के बारे में निर्णय केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत ही लिया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते उत्तराखंड की 12 हजार करोड़ से अधिक के कारोबार वाली चारधाम यात्रा के बुरी तरह प्रभावित होने के आसार बन गए हैं।