कोरोना के खिलाफ जंग जीतने का दावा करने वाली उत्तराखण्ड सरकार पर हुए कोरोना के बड़े हमले से सूबे में हड़कंप मचा हुआ है। मंत्री सतपाल महाराज, उनकी पत्नी, परिजनों व स्टाफ के कोरोना पाजिटिव मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रियों व अधिकारियों को होम क्वारंटीन कर दिया गया है। 18 मई को उत्तरकाशी का एक युवक प्रवीण जयाड़ा कोरोना पॉज़िटिव पाया गया। जिस समय उसकी रिपोर्ट आई,उस समय वह बड़कोट में राजकीय महाविद्यालय स्थित क्वारंटीन सेंटर में संस्थागत क्वारंटीन में था। लेकिन संस्थागत क्वारंटीन में होने के बावजूद उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की दफा 307 सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया और उसे एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया।
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प्रवीण जयाड़ा ने कुछ छुपाया नहीं था। महाराष्ट्र से वापस लौटते हुए ऋषिकेश में एम्स में उसका टेस्ट हुआ। एम्स ने उसे संस्थागत क्वारंटीन में रखने को कहा। एम्स ने भर्ती क्यों नहीं किया,पता नहीं। पुलिस ने बाकायदा पास जारी कर उसे घर भेजा जहाँ उसे संस्थागत क्वारंटीन किया गया। यह सब सरकारी प्रक्रिया और सरकारी अफसरों की देखरेख में हुआ। लेकिन इसके बावजूद उस पर ट्रैवल हिस्ट्री छुपाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कर दिया गया, हत्या के प्रयास जैसी संगीन धारा में।
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अब सतपाल महाराज के मामले पर आते हैं। सतपाल महाराज उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। वे, उनके परिजन और स्टाफ समेत 22 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाये गए हैं। उनके आवास पर 26 मई को होम क्वारंटीन का नोटिस चस्पा किया गया। हालांकि प्रश्न यह भी उठ रहे हैं कि 20 मई को जारी नोटिस को चस्पा होने में चार दिन क्यों लगे। लेकिन 26 मई को होम क्वारंटीन का नोटिस चस्पा होने के बावजूद सतपाल महाराज 29 मई को मंत्रिमंडल की बैठक में शरीक हुए।
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सतपाल महाराज की पत्नी, बहुऐं बल्कि जब स्वयं सतपाल महाराज भी कोरोना पॉज़िटिव पाये गए हैं तो क्या उनके विरुद्ध जानबूझ कर मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों और अफसरों का जीवन खतरे में डालने के लिए मुकदमा नहीं दर्ज किया जाना चाहिए? अगर ऐसा करने के लिए राज्य की पुलिस अन्य लोगों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर रही है तो आईपीसी की दफा 307 का मुकदमा तो सतपाल महाराज के विरुद्ध भी दर्ज होना चाहिए।
वरिष्ट पत्रकार इन्द्रेश मैखुरी जी की कलम से