उत्तराखंड में एक तरफ तो कोरोना संकमरण तेजी से फैलता चला जा रहा है वहीँ प्रशासन की गंभीर लापरवाही के मामले भी सामने आ रहे हैं, और प्रशासन की लापरवाही या कहैं डर तब और अधिक सामने आ जाता है जब मामला नेताओं से जुड़ा हुआ होता है। ऐसे ही एक ताजा मामला जहाँ एम्स में भर्ती सतपाल महाराज और उनके परिवार को लेकर सामने आ रहा है जहाँ सिर्फ 2 दिनों के अन्दर ही एम्स प्रशासन उन्हें घर जाने की इजाजत दे देता है। इस प्रकरण के सामने आने के बाद सरकार के साथ ही एम्स की भी खूब फजीहत हो रही है। तो चलिए अब आपको पूरे मामले से रूबरू करवाते हैं।
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रविवार को सतपाल महाराज और उनका पूरा परिवार कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया था, जहाँ सभी की गहन जांच की गयी। इसके बाद सोमवार शाम को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया और कहा गया कि सभी सदस्य ए-सिम्टमैटिक (जिनमें कोविड के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे) हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइड लाइन के तहत ऐसे लोगों को होम क्वारंटाइन में रखा जा सकता है। लिहाजा मंत्री के परिजनों के व्यक्तिगत आग्रह पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया तथा होम कोरंटाइन में रहने की सलाह दी गई। मगर कुछ समय बात राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन अभी राज्य में लागू ही नहीं होती है।
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इसके बाद देर रात फिर से एम्स में पूरे परिवार को भर्ती कर लिया गया जिसे लेकर हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। एम्स जैसा देश का प्रतिष्ठित संस्थान भी इस मामले में बार-बार अपना स्टेंड बदलता नजर आ रहा है। सवाल उठ रहा है कि, कोरोना जैसी महामारी के सामान्य मरीज के साथ भी ऐसा हो सकता है कि, वह जब चाहे डिस्चार्ज हो जाए और जब चाहे दोबारा भर्ती हो जाए और क्या एम्स प्रशासन इस बात से अनभिज्ञ हो सकता है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन अभी राज्य में लागू ही नहीं होती है?
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