Home देश आखिर क्यों बड़ी मछलियों के आगे खामोश हो जाता है सीबीआई तोता

आखिर क्यों बड़ी मछलियों के आगे खामोश हो जाता है सीबीआई तोता

कल यानी गुरुवार को सीबीआई अदालत ने देश के सबसे बड़े २जी घोटाले जिसमें लगभग 1 लाख 76 हजार करोड़ की हेराफेरी का अंदेशा था उसमें शामिल सभी दोषियों को निर्दोष घोषित कर दिया है। जिसकी वजह से कांग्रेस युक्त यूपीए की सत्ता भी चली गयी थी, अब कोर्ट के इस निर्णय से बड़ी राहत महसूस कर रही है और अब बीजेपी और तब के कैग प्रमुख पर हमला शुरू कर दिया है। और अब इस वजह से बीजेपी बैकफुट पर आ गयी है कि वो अपना बचाव करे या तब के काग प्रमुख विनोद राय का बचाव करे।

चलिए ये सब तो ठीक है पर एक बात समज में नहीं आती है, क्यों हर बार हाईप्रोफाइल मामलों में सीबीआई विफल हो जाती है, क्यों हर बार सबूतों के अभाव का रोना रोकर दोषी दोषमुक्त हो जाते हैं। चलिए अगर आपको ऐसा नहीं लगता है तो हम कुछ प्रमुख सीबीआई के मामलों को आपके सामने रख देते हैं। बोफोर्स घोटाला तो याद होगा ही आपको यह सीबीआई की नाकामी का एक जीता जागता उदाहरण है। इस घोटाले की जांच में सीबीआई ने सरकार का 250 करोड़ का खर्चा कर दिया और हाथ क्या लगा कुछ भी नहीं, और जबकि ये खुद घोटाला ही लगभग 64 करोड़ का था इससे ज्यादा तो सीबीआई ने खर्चा कर दिया।  दूसरा मामला हाल में ही आया हुआ आरुषि हत्याकांड का है, लोंगों को उम्मीद थी की सीबीआई जांच से सब दोषी सामने आयेंगे पर हाल में ही आरुषि के माता पिता को कोर्ट ने सबूतों के आभाव में छोड़ दिया और दोषी कौन है इसका अभी तक कुछ पता नहीं। एक और मामला सुपरस्टार सलमान खान से भी जुड़ा है जिसमे काले हिरण के शिकार के मामले में उन्हें दोष मुक्त क्या गया है और वही दूसरा बहुचर्चित मामला फूटपाथ पर सोने वाले की मौत पर भी उन्हें दोषमुक्त किया जा चूका है।

एक और मामला बसपा प्रमुख मायावती का है जिसमे आय से अधिक सम्पति मामले में सीबीआई ने मायावती के खिलाप केस दर्ज किया था लेकिन अंत में उनके खिलाफ भी कुछ नहीं हो पाया है। एक बहुचर्चित घोटाला चारा घोटाला भी था जिसमे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को दोषी माना गया था, उनके साथ ही उनके पूरे परिवार को भी आय से अधिक सम्पति में दोषी माना गया था, लेकिन अदालत ने लालू को दोष मुक्त घोषित कर दिया।

इन कुछ प्रमुख हाईप्रोफाइल मामलों से तो यही लगता है जब भी कोई बड़ी मछली सीबीआई की गिरफ्त में होती है तो वो उसे कभी भी दोषी साबित नहीं कर पाती है, और सबूतों के अभाव में दोषी सजामुक्त हो जाते हैं। इस बात से तो यही लगता है की अंदरखाने सभी पार्टियाँ आपस में समझोता कर देती हैं जिससे कि सीबीआई सरकार का एक तोता ही लगता है।


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