इन दिनों एक खबर बड़ी तेजी से सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हट्सअप पर घूम रही है कि उत्तरप्रदेश के सहारनपुर और बिजनौर जिलों को उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में मिलाया जा रहा है। और खबर यह भी है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत जी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जब दोंनो हाल ही मै आपस में मिले थे तो इस बात का प्रस्ताव प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को भेज चुके हैं, और उनकी तरफ से इस बात की स्वीकृति भी दी जा चुकी है। इस बात की स्वीकारोक्ति इस बात से भी थोडा प्रतीत हो रही थी, क्यूंकि काफी समय से उत्तरप्रदेश के विभाजन की मांग उठ रही है तो केंद्र सरकार ऐसा कर भी सकती है।
पर मामले की काफी जांच पड़ताल के बाद जो बात सामने आयी है वो ये है कि फ़िलहाल दोनों राज्यों की तरफ से कोई भी ऐसा प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा गया है। क्यूंकि अगर सच में ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा अगर किसी का नुकसान है तो वो स्वयं उत्तराखंड की भाजपा सरकार का ही है। क्यूंकि अगर धार्मिक समीकरणों की बात की जाए तो सहारनपुर और बिजनौर जिलों की आधी आबादी मुस्लिम समुदाय की है जो कि कभी भी भाजपा का वोटबैंक नहीं रहा है, और दूसरी तरफ इससे उत्तराखंड सरकार पर बौझ भी काफी बड जाता क्यूंकि इन दोंनो जिलों की आबादी भी बहुत ज्यादा है।
और अगर इस बात का कोई पुरजोर विरोध करता तो वो होते बसपा और सपा क्यूंकि उत्तरप्रदेश से बाहर हो जाने पर इन दोनों पार्टियों के परंपरागत वोटबैंक को बड़ा नुकसान हो जाता। तो फिलहाल जो सोशल मीडिया पे ये खबर प्रचारित की जा रही है वो झूटी ही मालुम पड़ती है| पर निकट भविष्य में ऐसा हो जाए इस बात से इनकार भी नहीं करा जा सकता है।