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तो क्या झूट का गुब्बारा था एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घोटाला

अब तक के भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक और यूपीए 2 की सबसे बड़ी किरकिरी का कारण जिसकी वजह से  बीजेपी को केंद्र की सत्ता में आने का एक बड़ा मौका मिला वो था 2जी घोटाला। और अब कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोड़ी समेत सभी तीनों आरोपियों को इस मामले से बरी कर दिया है। यह फैसला आते ही कोर्टरूम तालियों से गूंज उठा। सूत्रों से पता चला है कि सबूतों के अभाव में सभी अरोपियों को बरी किया गया है।  2जी घोटाले में फैसला आते ही लोकसभा और राज्‍यसभा में कांग्रेस ने हंगामा शुरू कर दिया है।

कोर्ट का फैसला आते ही कपिल सिब्‍बल ने कहा 2जी स्‍पेक्‍ट्रम आवंटन पर हमारा ‘जीरो लॉस’ का दावा सिद्ध हो गया है, जिन लोगों ने हम पर आरोप लगाए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। और वहीँ तत्कालीन वित्र मंत्री रहे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि, ‘एक बड़े घोटाले में सरकार के उच्च स्तर के लोगों के शामिल होने के आरोप कभी सही नहीं थे, और आज यह साबित हो गया है।’ और दोषियों में शामिल रही डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि की बेटी कनीमोझी ने अदालत के बाहर आकर अपने सभी समर्थकों का शुक्रिया अदा किया। और कहा कि, ‘मेरा उन सभी लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी जो मेरे साथ खड़े थे।’

तो अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि घोटाला हुआ, तो फिर किसने किया और नहीं हुआ तो तत्कालीन कैग प्रमुख विनोद राय की रिपोर्ट में क्या था, या फिर सबूतों के आभाव में ये सब बच निकलने में सफल हुए| 2जी घोटाला पर कैग (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट आने के बाद देश में राजनीतिक भूचाल आ गया था। रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि घोटाले से देश के खजाने को कुल एक करोड़ 76 लाख रुपये का नुकसान होने का अनुमान था। इसके बाद विपक्षी दलों ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पर हमला बोल दिया था।


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