हिन्दुस्तान की धरती का एक राज्य…जिसे लोग देवभूमि के नाम से जानते हैं…जी हां ये देवभूमि उत्तराखंड ही है…वहां बसा है एक सुंदर शहर अगस्त्यमुनि। अगस्त्यमुनि रुद्रप्रयाग जिले में बसा है..यहाँ से केदारनाथ मात्र 90 किलोमीटर की दूसरी पर स्थित है और समुद्र तल से 1 हजार मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है। इतिहास के पन्नों में एक महान ऋषि हुआ करते थें। वो ऋषिमुनि जिन्होने कभी अपने तपोबल से जाने कितने लोगों का उद्धार किया था। ये कोई बड़ा शहर नहीं है…वो जगह जहां हकीकत और श्रद्धा की गंगा बहती है।कहते हैं कि ऋषि अगस्त्य ने ही अगस्त्यमुनि को बसाया था ये जगह महर्षि अगस्त्य की तपस्थली है यहां स्थित उनका मंदिर और उनकी मूर्तियां आज भी विराजमान है। मुख्य मन्दिर में अगस्त्यमुनि का कुण्ड एवं उनके शिष्य भोगाजीत की प्रतिमा है। साथ में महर्षि अगस्त्य के इष्टदेव अगस्त्येश्वर महादेव का मन्दिर है।
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मान्यता के अनुसार बहुत वर्षों पहले एक बार अगस्त्यमुनि मन्दिर के पुजारी का देहान्त हो गया था जिस कारण वहाँ पूजा बन्द थी। इसी समय दक्षिण से कोई दो आदमी जो कि उत्तराखण्ड की यात्रा पर आये हुये थे, अगस्त्य ऋषि के मन्दिर के बारे में पता लगने पर मन्दिर में दर्शन को आये। स्थानीय लोगों ने उन्हें मना किया के मन्दिर के अन्दर मत जाओ, पूजा बन्द है और जो अन्दर जा रहा है उसकी मृत्यु हो रही है। उन्होंने कहा कि अगस्त्य ऋषि तो हमारे देवता हैं, हम तो दर्शन करेंगे ही (दक्षिण में भी अगस्त्य ऋषि का आश्रम है)। वे अन्दर गये, दर्शन किया और उनको कुछ न हुआ तो स्थानीय लोगों ने उनसे ही मन्दिर में पूजा व्यवस्था सम्भालने का अनुरोध किया। वे वहाँ पुजारी हो गये तथा पहाड़ के ऊपर एक स्थान पर वे रहने लगे तथा बेंजी नामक गाँव बसाया। तब से अगस्त्यमुनि मन्दिर में ग्राम बेंजी से ही पुजारी (मठाधीश) होते हैं।
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