उत्तराखंड में भारत का पहला रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम बनकर तैयार हो गया है और इसकी खूबी इतनी शानदार है कि देशभर में इसकी तारीफ हो रही है। कोरोना संक्रमण से लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य लोगों के लिए यह तकनीकी बहुत ही कारगर साबित हो सकती है। इसकी मदद से सुदूरवर्ती संसाधन विहीन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मरीजों के वाइटल पैरामीटर्स का कहीं से भी पता लगाया जा सकेगा। आपको बता दें एक ऐसी डिजिटल चिकित्सकीय प्रणाली उत्तराखंड में तैयार की गई है, जिसके तहत एम्स ऋषिकेश में बैठकर चिकित्सक सुदूरवर्ती क्षेत्रों के मरीज का उसके घर पर ही शरीर का तापमान, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा व सांस की गति की निगरानी कर सकते हैं।
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इससे सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि मरीज को अनावश्यक रूप से अस्पताल में भर्ती करने से बचा जा सकेगा क्यूंकि इस वक्त पूरे स्वास्थ्य सिस्टम पर ही सबसे ज्यादा भार पड़ा हुआ है। इसके साथ ही एक वेबसाइट व मोबाइल एप्लीकेशन का भी निर्माण किया गया है। जिसकी मदद से मरीज घर बैठे ही एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों को अपनी बीमारी के विषय में सूचित कर सकते हैं। संस्था के चिकित्सक मरीज द्वारा बताए गए लक्षणों को देखने के बाद उचित परामर्श देंगे। सॉफ्टवेयर में यह व्यवस्था भी की गई है कि यदि मरीज की रिपोर्ट से लगता है कि वह कोरोना का संदिग्ध है तो उसे संस्थान से इसके लिए मॉनिटरिंग किट उपलब्ध कराई जा सकती है।
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश और देश की नवरत्न कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) बेंगलुरु ने मिलकर भारत का पहला रिमोट हेल्थ मॉनीटरिंग सिस्टम तैयार किया है। आपको बता दें इस तकनीकी से मरीज का पूरा डाटा किसी भी नेटवर्क के जरिये एम्स को मिल जाएगा। इस डिवाइस के भीतर एक सिमकार्ड लगा है, जो बेहद कम नेटवर्क पर भी काम करने में सक्षम है। खास बात यह कि इस प्रणाली से जुड़ने के लिए किसी मरीज या उसके प्रियजन के पास स्मार्ट फोन होना भी जरूरी नहीं है।