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मां ने अपने बेटे को घर वापस लाने के लिए 1400 किमी का सफर स्कूटी से तय किया

आज कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से बचने के लिए पूरा देश लॉकडाउन है। जो जहां थे वो, वहीं अपने घरों में कैद है। लेकिन बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जो लॉकडाउन की वजह से अपने घरों से दूर अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं। ऐसे में तेलंगाना से एक मामला सामने आया है तेलंगाना के निजामाबाद की रहने वाली रजिया बेगम ने आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में फंसे अपने बेटे को वापसी घर लाने के लिए 1400 किमी का सफर स्कूटी से तय किया। निजामाबाद से नेल्लोर की दूरी 700 किमी है। रजिया बेगम निजामाबाद से नेल्लोर के लिए सोमवार अपनी स्कूटी से निकलीं और बुधवार शाम को वह अपने बेटे को लेकर घर वापस लौटीं। 48 बर्षीय महिला रजिया बेगम ने बताया कि मेरा छोटा परिवार है। दो बेटे हैं। पति की 15 साल पहले मृत्यु हो गई थी। बड़ा बेटा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है और छोटा बेटा निजामुद्दीन मै अभी पढ़ाई कर रह है। रजिया बेगम ने बताया कि उनका बेटा अपने दोस्त को छोड़ने नेल्लोर गया था। इस बीच कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन हो गया और वह वही फंस गया था। मैंने बोधान एसीपी को अपनी स्थिति बताई और उन्होंने मुझे यात्रा करने के लिए अनुमति पत्र दिया।

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वही इस महिला के सफर की खबर जैसे ही सोशल मिडिया मै सामने आई, लोगों ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि देश के हर भाग में कोई ना कोई व्यक्ति इस लॉकडाउन की वजह से फंसा हुआ है, क्या पुलिस-प्रशासन उन्हें भी अपने घर लौटने की इजाजत देगा? जब पूरे देश भर में लोगों को अपने घरों से निकलने पर रोक लगी है, तो ऐसे में इस महिला को इतनी दूर जाने की इजाजत पुलिस- प्रशासन ने कैसे दे दी? क्या ये लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन नहीं है। ऐसी तमाम बातें सोशल मीडिया पर घूम रही हैं।

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वही रजिया बेगम ने बताया कि एक महिला के लिए स्कूटी से इतना लम्बा सफर तय करना आसान नहीं है बेटे को वापस लाने की मेरी इच्छा के आगे  डर भी खत्म हो गया था। मैंने खाना पैक किया और सफर के लिए निकल पड़ी। उन्होंने बताया कि रात में सड़कें सुनसान थीं। इसके कारण डर जरूर लगा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। रजिया बेगम निजामाबाद स्थित एक सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य हैं।


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