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पढिये कैसे रहा भरतु की ब्वारी का क्रिसमस, जब सेंटा देवता ने माँगा मूर्ति के लिए स्थान

दो महीने पहले ही गाँव से आयी भरतु की ब्वारी देहरादून के बालावाला में आज क्रिसमस के कार्यक्रम में व्यस्त थी! वैसे देहरादून आने से पहले वो सैंटा क्लॉज को नही पहचानती थी पर बच्चे के स्कूल वालों की वजह से ही वो सेंटा को जान पाई! वो पहली बार इस त्योहार को मना रही थी !! तो उसने इस त्योहार पर आस पड़ोस की सभी पहाड़ी महिलाओं को भी निमंत्रण भेजा!

अब शाम को भरतु की ब्वारी के घर मे जमघट लग गया !!! अब सेंटा कौन बनेगा ?? इस बात पर सभी अटक गई !!! आखिरकार आजकल ही देहरादून शिफ्ट हुए नेगी ब्वारी के ससुर जी के नाम पर मुहर लग गयी !!! बुड्ढे जी को सजाया जाने लगा !!! सफेद दाढ़ी बाल में तो उनकी नैचुरलता थी, बस एक लाल रंग का कोट पहनाया गया !!! फिर थोड़ा बहुत जैसे कि पहाडी महिलाओं को पता था, वैसे वैसे वो सेंटा को निर्देश देते रहे !!! सेंटा बने नेगी  जी के लिए ये बिल्कुल नया देवता था !!! फिर सेंटा ने सभी बच्चो को प्रसाद के रूप में टॉफी, चॉक्लेट, कुरकुरे आदि दिए !!!

कुछ ही देर बाद अचानक नेगी जी पर सेंटा देवता आ गया, वो भरतु की ब्वारी के देवताओं के थान में गए और दाल चावल मांगने लगे !!! फिर होर्त होर्त की ध्वनि के साथ ही सेंटा देवता कूदने फांदने लगा !!! और अपनी मूर्ति के लिए स्थान माँगने लगा !!! फिर सभी को आश्रीवाद देने के बाद सेंटा देवता शांत हुआ !!!

अगले दिन से ही भरतु की ब्वारी के थान में यीशु मशीह की मूर्ति भी लगी थी, जिस पर चंदन, लाल पीठाई,और एक लाल कपड़ा भी बंधा था !!! ईसाई धर्म के इतिहास में पहली बार सेंटा क्लॉज देवता नेगी  जी पर अवतरित हुआ !!!! अब नेगी  जी के घर मे गौण पूछ करने वालो की भी भीड़ लगने लगी !!!! पहाड़ी समुदाय में एक और नए देवता सेंटा! सिध्वा के रूप में अवतरित होने लगा ! कहानी है तो मनोरंजन हेतु, परन्तु सौ फीसदी सत्य है !

नोट : यह सिर्फ एक व्यग्य है अन्यथा ना लें !