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सात समंदर पार से आये सैलानी भी होते हैं देवभूमि के रीति-रिवाजों के दीवाने, पर अपनों को ही सुध नहीं

आज अगर देवभूमि में किसी से भी चाहे वो बच्चे हों या बूढ़े पहाड़ की सबसे बड़ी पीड़ा का नाम पूछेंगे तो वो आपका सवाल सुनने से पहले ही इसका जवाब दे देगा और उसका ये जवाब होगा पलायन। आज हम हर दिन टीवी में, समाचार पत्रों में, सोशल मीडिया पर ये खबर पड़ते रहते हैं कि अमुक गाँव आज बंजर हो गया है या फिर होने वाला है। पलायन का सबसे बड़ा कारण पिछले 18 सालों की उत्तराखंड सरकार तो नजर आती ही है जिसने आज तक पहाड़ की इस पीड़ा का समाधान करने के लिए कुछ भी ढंग का उपाय नहीं किया है, कास आज प्रदेश का हर गाँव सड़क मार्ग से जुड़ा होता, काश हर गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य की अच्छी ब्यवस्था होती, काश पहाड़ में रोजगार के उचित साधन होते जिससे पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आती।

वहीँ अगर इन सबके लिए जितनी जिम्मेदार सरकार है उतनी ही जिम्मेदार यहाँ की जनता भी है, जो आज एक भेड़चाल का शिकार हो चुकी है, चाहे मर्द बाहर अपने पेट का गुजारा भी मुश्किल से कर रहा हो पर महिला को आज पहाड़ में रहना मंजूर नहीं है उसे तो देहरादून की चार बाई चार के एक छोटे से कमरे में रहना भी मंजूर है, उसे तो दिखावे के लिए हाई क्लास स्टैण्डर्ड चाहिए ताकि वो अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों को बता सके कि वो देहरादून या दिल्ली जैसे महानगर में रहती है। उसके बाद बच्चों की अच्छी पढाई-लिखाई और स्वास्थ्य के नाम पर वो हमेशा के लिए चार बाई चार के एक छोटे से कमरे में ही पूरा अपना जीवन काटने को ही अपनी शान समझते हैं।

पहाड़ की इसी पीड़ा को दिखाता हुआ आजकल एक विडियो तेजी के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, इस विडियो के ख़ास बात यह है कि यह इस विडियो में जितने भी कलाकार हैं वो सब विदेशी हैं। इस विडियो में जिस तरह से उन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ी रीति-रिवाज को उतारा है और उसके बाद जिस तरह से पहले पहाड़ की पीड़ा को दिखाया और फिर अंत में इन्हीं पीड़ाओं के बीच जैसा जीवन पहाड़ में जीने को मिलता है उससे अच्छा जीवन कहीं और नहीं हो सकता वो बहुत ही शानदार है। सभी कलाकारों ने जिस सहजता के साथ गढ़वाली बोली है वो वाकई काबिल के तारीफ है। काश पहाड़ के सभी लोग इस विडियो को देख सकें और हमारा ये दावा है कि कोई भी इसे देखने के बाद प्रभावित अवश्य होगा।


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