उत्तराखंड में पिथोरागढ़ की बेटी शीतल राज ने दुनियां की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट फतह किया है। 8848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर चढऩे वाली शीतल इससे पूर्व सबसे कम उम्र में कंचनजंगा फतह करने वाली महिला पर्वतारोही भी बनी थी। गुरुवार सुबह वह एवरेस्ट फतह कर सकुशल कैंप में लौट आई है। शीतल की उपलब्धि से जिले के साथ-साथ पूरे उत्तराखंड में भी खुशी की लहर है। शीतल एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखतीं हैं। शीतल के पिता उमाशंकर टैक्सी चलाकर परिवार का भरणपोषण करते हैं। पहाड़ की बेटी ने क्लाइम्बिंग बियोंड द समिट माउंड एवरेस्ट अभियान 2019 के तहत दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर भारत का झंडा फहराया। शीतल पिथौरागढ़ नगर से सटे सल्मोड़ा गांव की रहने वाली हैं।
शीतल के पिता उमाशंकर टैक्सी चलाकर आज भी अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। पहले जहां वह दिहाड़ी पर दूसरे की टैक्सी चलाते थे, अब खुद की टैक्सी चलाते हैं। उमाशंकर ने बताया कि पैतृक मकान में ही इस साल एक कमरा बनाया है, जिसमें शीतल के साहसिक अभियानों की फोटो लगी हैं। शीतल का छोटा भाई योगराज (31) देहरादून से बीएचएम का कोर्स कर रहा है। उससे छोटा भाई गौरव राज (18) दिल्ली में डांसिंग का कोर्स कर रहा है। शीतल की माता सपना देवी का मायका धारचूला के दारमा घाटी के दुर्गम गांव में है। शीतल बुधवार की रात 9 बजे 8000 मीटर की ऊंचाई में स्थित कैंप-4 से एवरेस्ट की चोटी के लिए निकली थीं। बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर विजय पा ली।
इससे पूर्व वर्ष 2018 में शीतल ने 8586 मीटर ऊंची माउंट कंचनजंगा चोटी पर आरोहण किया। कंचनजंगा दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ऊंची चोटी है। पर्वतारोहण के हिसाब से यह एवरेस्ट से कठिन और खतरनाक चोटी मानी जाती है। इस चोटी का सफल आरोहण करने वाली शीतल ने दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोही बनने का गौरव प्राप्त किया था। इससे पूर्व शीतल ने 7075 मीटर ऊंची सतोपंत, 7120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी का भी सफल आरोहण किया है।