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रुद्रप्रयाग में मिली 150 साल का इतिहास समेटे 24 पांडुलिपियां, दो राजाओं के शासन का भी उल्लेख

उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले में एक बार फिर 24 पांडुलिपियां मिली हैं। इन पांडुलिपियों की खासियत यह है कि इसमें गढ़वाल के 150 वर्षों का इतिहास सिमटा हुआ है। इसके साथ ही इन पांडुलिपियों में समकालीन घटनाएं, धर्म, संस्कृति, नाथपंथी साहित्य और आयुर्वेद पर विस्तार से लिखा गया है।

ये सभी 24 पांडुलिपियां गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर व सुपुरी गांव में लिखी गई हैं, इन  पांडुलिपियों में रचनाकार और राजशाही परिवार के बीच घनिष्ठ मित्रता का भी प्रमाण मिलता है। पांडुलिपियां सुपुरी के स्व. हीरा सिंह बड़त्वाल के पौत्र सत्येंद्र सिंह बड़त्वाल के पास सुरक्षित हैं। इन पांडुलिपियों की खोज में सत्येंद्र सिंह कठोच का भी विशेष सहयोग रहा है। डा. कठोच ने बताया कि सुपुरी गांव में पांडुलिपियों की खोज जारी है। इससे पहले की गई खोज में 15 पांडुलिपियां मिली थी। उन्होंने बताया कि इन पांडुलिपियों में राजा प्रदीप शाह से पृथ्वीपति शाह के शासनकाल का इतिहास लिखा गया है।

संभवत: पृथ्वीपति शाह के शासनकाल की यह पहली पांडुलिपि है, जो गढ़वाल के इतिहास का दस्तावेज होने के साथ इतिहास की जानकारी को और भी अधिक समृद्ध बनाती हैं। रचनाओं से आयुर्वेद में उनकी विशेषज्ञता मुखर रुप से प्रमाणित हो रही है। उन्होंने बताया कि पंवार वंश के इतिहास में एक पिटारा अभी भी अछूता है। डा. यशवंत कठोच ने राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से इस दिशा में ठोस कार्य किए जाने पर जोर दिया है। सुपुरी गांव में राजशाही दौर के अनेक अस्त्र-शस्त्र भी हैं, इनमें तोप की नली, तीर और अनेक प्रकार के समकालीन खंजर शामिल हैं।


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