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रुद्रप्रयाग के विद्वान ने ही लिखी थी बद्रीनाथ आरती अब कार्बन डेटिंग से लगी इस पर मुहर

करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र बदरीनाथ धाम की आरती पर अब तक यह माना जाता था कि करीबन 150 साल पहले इस आरती की रचना चमोली जिले के नदंप्रयाग के रहने वाले मुस्लिम बदरुद्दीन ने की थी। लेकिन अब यहाँ एक नयी बात की पुष्टि हो गयी है कि अब जो आरती की पांड़लिपि की कार्बन डेटिंग के परिणाम सामने आये हैं वह ये कि यह वर्ष 1775 के आसपास की है और धन सिंह इसी दौर के हैं, जबकि बदरुद्दीन उन्नीसवीं सदी के उत्तरा‌र्द्ध के हैं। कल यानी शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में धन सिंह के वंशजों ने पांडुलिपि की प्रति मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे यह साबित हुआ है कि हमारे पूर्वज उस समय भी जागरूक थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि ‘कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो गया है कि श्री बद्रीनाथ जी की आरती स्व. धन सिंह बर्तवाल द्वारा संवत 1938 (सन 1881) में लिखित है। बर्तवाल जी के परिजनों ने बद्रीनाथ जी की आरती की पांडुलिपि भेंट की जिसकी कार्बन डेटिंग हुई है। धन सिंह जी के परिवार ने हमारी प्राचीन सभ्यता को संजोकर रखने का सराहनीय प्रयास किया है’। बदरीनाथ जी की आरती ‘पवन मंद सुगंध शीतल’ के रचयिता ठाकुर धनसिंह बर्तवाल थे। 1881 में स्वर्गीय ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल ने इस आरती को लिखा था और इसकी पांडुलिपि आज भी मौजूद है। रुद्रप्रयाग जिले में तल्ला नागपुर पट्टी के सतेरा स्यूपुरी के विजरवाणा के रहने वाले स्वर्गीय ठाकुर धनसिंह बर्त्वाल ने ये आरती लिखी थी।

आरती में हैं 11 पद

बदरीनाथ धाम में सुबह शाम गुंजने वाली प्रसिद् आरती ‘पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम्। निकट गंगा बहत निर्मल बदरीनाथ विश्वंभरम, श्री बदरीनाथ विश्वंभरम ।।’ के रचियता धन सिंह  की मूल रचना कुछ 11 पद हैं। हालांकि आरती में सात पद ही गाए जाते हैं।


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