Home रुद्रप्रयाग रुद्रप्रयाग: 108 आपातकालीन सेवा होती तो बच सकती थी गर्भवती की जान

रुद्रप्रयाग: 108 आपातकालीन सेवा होती तो बच सकती थी गर्भवती की जान

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते एक और गर्भवती महिला और उसके नवजात बच्चे की उपचार के दौरान मौत हो गई। इस मामले में जन अधिकार मंच ने मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा है। साथ ही मामले की उच्च स्तरीय जाँच की माँग की है। गौरतलब है कि प्रसव पीड़ा होने पर रुद्रप्रयाग जनपद के रतूडा गांव की सपना देवी को उसके परिजन जिला चिकित्सालय आए थे। परिजनों का आरोप है कि महिला सुबह से दर्द से तड़प रही थी, लेकिन डाक्टरों ने उसका उपचार शुरू नहीं किया। जब दर्द अधिक बढ़ने लगा तो जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों ने उसे बेस चिकित्सालय श्रीनगर के लिए रेफर कर दिया। महिला को श्रीनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसे ऑपरेशन कक्ष में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने महिला के पेट से मृत बच्चे को बाहर निकाला।
महिला के पति मनोज ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों की गलती से उसकी पत्नी और बच्चे की मौत हुई है। 108 आपातकालीन सेवा भी न मिलने से प्रसूता को अस्पताल पहुँचाने में देर हो गई। जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि पिछले वर्ष जुलाई माह में भी एक गर्भवती महिला और उसके नवजात बच्चे की भी जिला चिकित्सालय में मौत हो गई थी। इस मामले में हुई मजिस्ट्रीयल जाँच में चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप सही साबित हुआ था। इसके बाद शासन स्तर पर हुई जाँच का आज तक खुलासा नहीं हुआ। श्रीनगर बेस अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में भी जन अधिकार मंच जिलाधिकारी से उच्च स्तरीय निष्पक्ष जाँच की माँग कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि महिला की मौत के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को सीएम पद से इस्तीफा देना चाहिए।

स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी संभाल रहे मुख्यमंत्री से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि आखिर 108 आपातकालीन सेवाएँ बंद क्यूँ हैं? अगर 108 सेवा सुचारू रूप से संचालित होती तो महिला की जान बच सकती थी। 108 आपातकालीन सेवा के बंद होने से अभी तक कई लोगों की मौत हो गई है। मुख्यमंत्री इन सभी मौतों के जिम्मेदार हैं। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।


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