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रुद्रप्रयाग में 500 साल पुराने पीपल के पेड़ को बचाने आगे आये लोग, की ये भावुक अपील

अगर आप रुद्रप्रयाग जिले से हैं या फिर इस रास्ते से होकर कभी रुद्रप्रयाग शहर से होकर गुजरें हों तो आपको बाज़ार में एक बड़ा पीपल का पेड़ और उसके नीचे हनुमान मंदिर जरुर नजर आया होगा। दरअसल यह दोनों चीजें रुद्रप्रयाग शहर की पहचान बने हैं। और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड के कारण सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा है जिसकी जद में यह पीपल का पेड़ और हनुमान मंदिर आये हैं। कुछ दिन पहले हनुमान मंदिर को तो ध्वस्त कर दिया गया है जिसके विरोध में कहीं भी तेज आवाज नहीं सुनाई दी लेकिन अब लगभग पांच सौ वर्ष पुराने पीपल के पेड़ को काटने का युवाओ ने विरोध करना शुरू कर है।

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रुद्रप्रयाग के युवा इस पेड़ को रुद्रप्रयाग की ऐतिहासिक धरोहर बता रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष केंद्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल संदीप राणा एवम युवा सामाजिक कार्यकर्ता विकाश डिमरी ने कहा कि रुद्रप्रयाग शहर पौराणिक धरोहर पीपल का पेड़ नहीं कटना चाहिए। इस पेड़ के सहारे लोगों को छाया और ठंडी हवा मिलती है। अगर यह पेड़ नहीं रहेगा तो रुद्रप्रयाग शहर की सुंदरता भी खत्म हो जाएगी। पर्यावरण की दृष्टि से पीपल का पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए। कहा कि जिला प्रशासन और लोनिवि (राष्ट्रीय राजमार्ग) को इस पर रोक लगानी चाहिए। पेड़ की टहनियां जो भवनों की तरफ झुकी हैं, उनको काटा जाय। पेड़ की सतह पर गोल चबूतरा बनाया जाय।

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जो प्राचीन हनुमान मंदिर था उसे भी तोड़ दिया गया, उसका भी जल्द से जल्द निर्माण करवाया जाए। युवाओं का कहना है कि यह पेड़ न जाने कितनी पीढ़ियों से शुद्ध ऑक्सीजन और छांव दे रहा है। पेड़ काटना तो आसान है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस वृक्ष को बनने में सैकड़ों वर्ष लगे हैं और यह हमारी आस्था से भी जुड़ा हुआ है।  यातायात ट्रैफिक की समस्या से अतिक्रमण हटा कर और बाईपास मार्ग उपयोग से भी निपटा जा सकता है मगर पेड़ द्वारा शहर को प्रदान की जा रही प्राकृतिक सुंदरता और भीषण गर्मी में यात्रियों और ड्यूटी पे तैनात पुलिस कर्मियों को उपलब्ध की जाने वाली शीतलता को आप किसी अन्य प्रकार से नहीं जुटा सकते। अब युवाओं ने इस पीपल के पेड़ पर एक बैनर लगा दिया है जिसपर यह अपील की गयी है कि “हे रुद्रप्रयाग वासियों मुझे बचाओ”, और अब इस मुहिम में कई लोग जुड़ते चले जा रहे हैं।

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