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महाशिवरात्रि पर 30 साल बाद दुर्लभ संयोग… इस तरह से करैं भोलेनाथ की पूजा

करीब तीस साल बाद इस दिन सूर्य और शनि यानी पिता-पुत्र एक साथ शनि की कुंभ राशि में गोचर करेंगे। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है इस दिन व्रत रखकर चार पहर भगवान शिव की पूजा करने से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों की प्राप्ति होती है। जो भी मनुष्य वर्ष भर कोई व्रत नहीं कर पाता है उसे केवल महाशिवरात्रि का व्रत करने से वर्ष भर के व्रत उपवास का पुण्य प्राप्त हो जाता है। महाशिवरात्रि के व्रत में भगवान शिव का षोडशोपचार पूजन करके गंगा के जल से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को जल धारा अधिक प्रिय होती है। इसलिए शिव का अभिषेक करने से सभी मनोकामना की पूर्ति होती है। इसके अलावा भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पण करने से भी अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

इस बार शिवरात्रि पर तीन अद्भुत संयोग बनने से यह त्योहार खास बन गया है। इसमें पहला यह कि शनिवार के दिन शिवरात्रि पड़ने से शनि प्रदोष का संयोग बन रहा है। शनि प्रदोष का योग होने से संतान कामना की पूर्ति होती है इसलिए यह व्रत पुत्र दायक माना गया है। दूसरा इसी दिन स्वार्थ सिद्धि योग भी पड़ रहा है। स्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी कार्य करने से पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है। वहीं तीसरा इस बार 30 वर्षों बाद सूर्य और शनि यानी पिता-पुत्र कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। इसलिए इस बार व्रतियों को सूर्य और शनि की एक साथ कृपा प्राप्त होगी। शिवरात्रि के व्रत में चार पहर की पूजा का विशेष विधान बताया गया है। इस बार शिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का समय प्रथम प्रहर शाम 6:20 से रात्रि 9:30 तक, दूसरा प्रहर रात्रि 9:30 से रात्रि 12:40 तक, तीसरा पहर रात्रि 12:40 से प्रात: 3:50 तक, चौथा प्रहर प्रात: 3:50 से प्रात: 7:00 बजे तक है।

घर पर ऐसे करें शिवरात्रि की पूजा

  • शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी स्नानादि कर निवृत्त हो जाएं.
  • घर के मंदिर में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें.
  • पूजा करते समय याद रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
  • ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें.
  • शिवरात्रि के दिन आप पूरे दिन का व्रत भी रख सकते है.
  • इस दिन व्रत निराहार ही रखें, पूरेदिन में आप केवल दूध, फल या जूस का सेवन कर सकते हैं.
  • शाम के समय वापस स्नानादि करने के बाद घर के मंदिर में भोलेनाथ और शिवलिंग की पूजा करें.
  • पूजा की शुरुआत गणेश जी से करें और उसके बाद शिव जी का पूजन शुरू करें.
  • याद रहें ये पूजा 4 पहर के समय ही करें.
  • भोलेनाथ को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से शिवजी की पूजा करनी चाहिए.
  • शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करना चाहिए.
  • आखिर में भोलेनाथ के इन आठ नामों भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान को लेकर फूल अर्पित करें, साथ ही शिव जी की आरती और परिक्रमा करें.

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