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शिक्षका प्रकरण: क्या सिर्फ नेताओं और रसूखदार लोगों के लिए है सभी धाणी देहरादून, बाकी जनता जाए भाड़ में

इन दिनों एक मामला उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे भारत में छाया हुआ है और वो मामला है प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के जनता मिलन कार्यक्रम में हंगामा और अभद्रता करने के आरोप में सस्पेंड की गई शिक्षिका उत्तरा पंत। इस पूरे घटनाक्रम के बाद पूरी जनता दो गुटों में बंट गयी है मुख्यमंत्री को सपोर्ट करने वाले लोग कहा रहे हैं जिस तरह का बर्ताव CM से  महिला शिक्षिका ने किया वो बर्दाश्त से बाहर था वहीँ महिला शिक्षिका को सपोर्ट करने वाले लोग इससे असहमत हैं क्यूंकि जारी वीडियो में दखा जा सकता है कि जनता दरबार में अपने सुगम में ट्रान्सफर को लेकर वो पहले शांति से अपनी बात रख रही थी पर मुख्यमंत्री अचानक शिक्षिका पर भड़क गये जिसके बाद महिला शिक्षिका ने अपना आपा खो दिया था।

इस पूरे घटानक्रम के बाद उत्तराखंड में सुगम और दुर्गम को लेकर एक नयी बहस छिड गयी है, और लोग लंबे समय से तबादला एक्ट की मांग इसलिए करते रहे ताकि सभी शिक्षकों को रोस्टर के अनुसार दुर्गम व सुगम की सेवा का लाभ मिलता रहे क्यूंकि शिक्षा विभाग में नेता लोग और रसूखदार लोग जमकर फायदा उठाते हैं जिससे यहाँ भाई-भतीजावाद बहुत ही ज्यादा फैला हुआ है। भाई-भतीजावाद का सबसे बढ़ा उदाहरण तो खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता रावत हैं जो पिछले 22 सालों से खुद एक ही स्कूल में बनी हुई हैं और इससे पहले भी उनकी तैनाती सुगम में ही थी तो आजतक उन्हें दुर्गम में तैनाती नहीं मिली है। इसके बाद बारी आती है प्रदेश के वित्त मंत्री प्रकाश पन्त की जिनकी पत्नी चंद्रा पन्त की तैनाती भी 2015 से देहरादून के राजपुर रोड स्थित जीआईसी में है और ख़ास बात ये भी है कि उनकी तनख्वाह कुमाऊं के उस स्कूल से आती हैं जहाँ से अटैच होकर वो देहरादून पहुँची थी।

जब बात शिक्षा विभाग में अपने करीबियों को सुगम में सेवाएं देने का हो तो भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की बीवी तो हल्द्वानी डिग्री कॉलेज से देश की राजधानी दिल्ली में स्थानीय आयुक्त कार्यालय में कुछ साल पहले एटैचमेंट पर पहुंच गई। टिहरी जिले के प्रतापनगर से कांग्रेस के विधायक विक्रम सिंह नेगी की पत्नी सुशीला नेगी भी देहरादून के मेहुवाला इन्टर कॉलेज में साल 2014 से तैनात हैं| बात करैं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला की धर्मपत्नी की तो वो भी देहरादून में शिक्षा निदेशालय में पिछले एक साल पहले एटैचमेंट पर पहुंच गई हैं।

जब बात सुगम में अपने लोगों के ट्रान्सफर की हो तो कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री रहे मंत्री प्रसाद नैथानी को कौन भूल सकता है जिनपर तब हर बार इस बात के आरोप लगते रहते थे कि वो अपने रिश्तेदारों को सुगम में तैनाती देने में ही व्यस्त हैं। मंत्री प्रसाद नैथानी के साले सुरेंद्र डंगवाल देहरादून डायट में कई सालों से तैनात हैं तो इनके दमाद प्रेम नगर के पास जमाई कोटला इंटर कॉलेज में तैनात हैं।

इन सभी उदाहरणों से एक बात तो स्पष्ट होती है कि भले राजनेता लोग राजनीति में आने का मकसद आम लोगों की भलाई को बताते हों पर उनके लिए अपना परिवार और रिश्तेदार ही सबसे अहम होते हैं और वो अपनी पकड़ और ऊँची पहुँच का फायदा उठाकर अपने लोगों को सुख-सुविधाओं से सम्पन्न जगहों पर ही रखना चाहते हैं और जिन लोगों के पास इन सब चीजों की कमी हो वो हमेशा दुर्गम में ही तैनात रहेंगे भले ही उनकी काबिलियत हर लिहाज से सुगम वाले लोगों से ज्यादा हो।


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