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माँ मठियाणा! उत्तराखंड का वो मंदिर, जहां निवास करती हैं धरती की सबसे जागृत महाकाली !

उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है। आपको यहां कदम कदम पर बड़े चमत्कार और रहस्य देखने को मिलेंगे। आज हम आपको मां मठियाणा देवी के बारे में बता रहे हैं। मां मठियाणा देवी का मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के सिलीगों गांव में स्थित है। माँ मठियाणा भरदारी राजवंशों की कुल देवी है। यहाँ आने के लिए रुद्रप्रयाग से तिलवाड़ा, घेघड़ होते पंहुचा जा सकता है। या फिर श्रीनगर से कीर्तिनगर ,बडियार गढ़ सौरखाल होते हुए डोंडा, चौरिया तक आकर भरदार सिलिगों से थोडा पैदल चलकर आप यहां पहुंच सकते है। सड़क मार्ग से मंदिर कि दूरी लगभग 2 किलोमीटर पैदल तय करनी पड़ती है।

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प्राचीन लोकमान्यताओं के अनुसार माँ मठियाणा सिरवाड़ी गढ़ के राजवंशों की धियान थी। इसका विवाह भोट यानि तिब्बत के राजकुमार से हुआ था। उनकी सौतेली माँ द्वारा ढाह वंश के कुछ लोगों की सहायता से उसके पति कि हत्या कर दी जाती है। इस घटना से आहत होकर सहजा तिलवाड़ा सूरज प्रयाग में सती होने जाती है। तब यहीं से मां प्रकट होती है। देवी सिरवादी गढ़ में पहुंचकर दोषियों को दंड देती हैं। और जन कल्याण के निमित यहीं वास लेती हैं। हर तीसरे साल सहजा मां के जागर लगते हैं। जिसमें देवी की गाथा का बखान होता है। यहां देवी का उग्र रूप है, बाद में यही रूप सौम्य अवस्था में मठियाणा खाल में स्थान लेता है। यहीं से मां मठियाणा का नाम जगत प्रसिद्ध होता है।

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नवरात्रि पर मां के दर्शन कर पुण्य लाभ के लिए यहां भक्तों का जमावड़ा रहता है। मठियाणा देवी माता शक्ति का काली रूप है। ये स्थान देवी का सिद्धि-पीठ भी है। यह भी कहा जाता है कि माता के अग्नि में सती होने पर भगवान शिव जब उनके शरीर को लेकर भटक रहे थे तब माता सती का शरीर का एक भाग यहाँ गिरा, बाद में इस भाग माता मठियाणा देवी कहा गया।

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