अगर आपको ये जानना हो कि पहाड़ में रहने का दर्द क्या होता है और वो भी इस तरह से एक अकेली महिला का तो आपको जरुर ये पूरी खबर पढ़नी चाहिये। यहाँ बात हो रही है रुद्रप्रयाग जिले की जखोली तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत पौंठी की सुनिता देवी की जो पिछले 14 साल से ऐसा जीवन जी रही हैं जिससे पता चलता है कि आखिर सच में जीवन कितना मुश्किल है। सुनीता देवी के पति जसपाल सिंह आज से लगभग 14 साल पहले गाँव से कहीं गायब हो गये थे तो सालों तक सुनीता देवी इसी का इन्तेजार करती रहीं कि एक न एक दिन उसके पति वापस जरुर घर आ जायेंगे पर जब वर्षों बीत गये तो धीरे-धीरे उनकी उम्मीद धूमिल होने लगी और आज वो इस बात को मान चुकी हैं कि उनके पति का वापस आना असंभव है।
सुनीता देवी की 14 साल की एक बेटी भी है, पूरे परिवार में मात्र यही दो लोग हैं और ये अपने गाँव के जंगल से सटे इलाके में एक टीन से बने छप्पर में ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं, इसके अलावा अपने जानवरों को रखने के लिए भी इस महिला के पास कुछ भी नहीं है और अब तक वो अपने पशुओं को किसी अन्य की गौशाला में रखने को मजबूर हैं। टीन से बने छप्पर में जहाँ पूरे दिन बंदरों और लंगूरों का आतंक मचा रहता है वहीँ रात होते हुए ही भालू, बाघ और साँपों का खतरा पर क्या करैं यहाँ रहने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। पूरे देश में जहाँ हर घर में टॉयलेट बन रहे हैं वहीँ इस परिवार के पास जब अपना घर तक नहीं है तो टॉयलेट तो छोड़ ही दीजिये आप।
नवयुवक मंगल दल पौंठी के सदस्यों ने बताया कि सुनिता देवी नें अपनी दुःखद कहानी इन लोगों को बताई, और कहा कि उन्हें सभी सरकारी योजनाओं से भी वंचित रखा गया है। विडंबना देखिये कि ऐसे वंचित परिवार का नाम एक बीपीएल परिवार श्रेणी में भी नहीं है, एक बार उन्हें जलागम द्वारा गाय लेने के लिए 29500 रूपये की राशि प्राप्त हुई थी, मगर ग्राम प्रधान पौंठी द्वारा संपूर्ण राशि वापस मांगी गई और फिर उन्हें मात्र 14000 रूपये की राशि ही दी गयी। सुनिता देवी पिछले 10 सालों से प्राइमरी स्कूल पिडोला (पौंठी) में 2000 रूपये / माह पर भोजन माता का काम करती है और इन्ही 2000 रूपये से उन्हें अपने परिवार का लालन-पालन के साथ-साथ अपनी बेटी के लिए की फीस, किताबें, ड्रैस आदि जरूरतें भी पूरी करनी होती हैं।
सुनीता देवी कहती हैं कि वो अब तक कई जनप्रतिनिधियों से मिल चुकी हैं पर किसी भी जनप्रतिनिधि ने मेरी बात को नही सुना हर बार मुझे झूठा अश्वासन दिया है ये मैं ही जानती हूं कि मैं कैसे अपना और अपनी बेटी भरण-पोषण कर रही हूं। अब सबसे बड़ा सवाल दिल को यह चुभता है कि जिस रूद्रप्रयाग जिले को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री आवास के लिए केन्द्र सरकार ने सम्मानित किया उस जिले में सुनिता देवी जैसी लाचार गरीब महिला कैसे इससे वंचित रह जाती है इसे सिस्टम की लापरवाही कहें या जानबूझकर जनप्रतिनिधियों ने अनदेखी की यह जांच का विषय है। अब पूरे उत्तराखंड की मीडिया में जब यह मुद्दा तूल पकड़ चुका है तो इसके बाद राजस्व उपनिरीक्षक पौठी द्वारा महिला को देवीय आपदा मद से आवासीय भवन की क्षति हेतु एक लाख एक हज़ार नौ सौ रुपए का चेक दिया गया है।