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चमोली: आदमखोर गुलदार के आतंक से अब मिलेगी छुट्टी, पहुँच चुके हैं प्रसिद्ध शिकारी लखपत रावत

पिछले कुछ समय से लगातार उत्तराखंड में गुलदार से इंसानों की मौत की खबरें आ रही हैं, जिसके कारण पहाड़ के लोगों में भय का माहौल है। इस समय सबसे ज्यादा दहशत में चमोली जिले के लोग हैं क्यूंकि यहाँ कुछ दिन पहले एक मासूम बच्ची को गुलदार ने अपना निवाला बना लिया था और इसके साथ ही वह अन्य ग्रामीणों पर घात लगाकर हमला कर चूका है। अब आदमखोर गुलदार को मारने के आदेश वन विभाग ने दे दिए हैं। लोगों के आक्रोश को देखते हुए हुए बकायदा वन विभाग ने मशहूर शिकारी लखपत सिंह रावत (Lakhpat Singh Rawat) और वीरेंद्र सिंह को भी क्षेत्र में बुला भी लिया है।

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गुलदार को पकड़ने के लिए वन विभाग की ओर से पूरे क्षेत्र में क‌ई पिंजरे भी लगा दिए गए हैं। बता दें कि चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लाक के गैरबारम गांव के ग्राम प्रधान देवेन्द्र सिंह की 12 वर्षीय पुत्री दृष्टि को बीते सोमवार शाम एक आदमखोर गुलदार ने अपना निवाला बना लिया था। हादसे के वक्त दृष्टि गौशाला से घर की ओर लौट रही थी। गुलदार द्वारा किए गए इस हमले में दृष्टि की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस घटना से जहां पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल था वहीं ग्रामीणों में प्रशासन और वन विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश भी फ़ैल गया है।

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जिले के नारायणबगड़ ब्लाक के उत्तरी पिंडर क्षेत्र में स्थित हरमनी न्याय पंचायत के 35 गांवों के ग्रामीणों में इन दिनों दहशत का माहौल है। अब ग्रामीणों के आक्रोश के बाद वन विभाग ने न सिर्फ गुलदार को मारने के आदेश देकर क्षेत्र में प्रसिद्ध शिकारी लखपत सिंह को बुलाया है बल्कि वन कर्मियों की गश्त को भी बढ़ा दिया है। इन सबके बावजूद भी ग्रामीणों में गुलदार का भय इस कदर व्याप्त है कि वे खुद भी रात-रात भर पहरा देने को मजबूर हैं। आपको बता डैन प्रसिद्ध शिकारी लखपत सिंह रावत अभी तक 50 से ज्यादा तेंदुओं का शिकार कर चुके हैं। लखपत की कहानी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पहाड़ में वन्य जीवों की समस्या किस कदर बढ़ती जा रही है। और अब चमोली जिले के इस नरभक्षी गुलदार का अंत समय नजदीक आ चुका है।

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