चमोली जिले में हैंगिंग ग्लेशियर दरकने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आए उफान के बाद ऋषिगंगा नदी पर मलबे से एक झील का निर्माण हो गया था। ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झील में करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है। शनिवार को नौसेना की टीम की ओर से झील की गहराई का सफलतापूर्वक आकलन कर लेने के बाद यह अनुमान लगाना संभव हुआ है। बीती 7 फरवरी को चमोली जिले की नीति घाटी में आई जल प्रलय के बाद ऋषि गंगा के मुहाने पर झील बन गई थी।
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उत्तराखंड शासन ने वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, आपदा प्रबंधन और सेना के अधिकारियों को इस झील की जांच का जिम्मा सौंपा था। यह जांच दल शनिवार को झील तक पहुंचा तो सामने आया कि 750 मीटर लंबी और आगे बढ़कर संकरी हो रही इस 50 मीटर झील की गहराई आठ मीटर है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया की नौसेना की टीम ने इस झील की गहराई का पता लगाया है। इस आकलन के हिसाब से झील में करीब 48 हजार घन मीटर पानी है। झील की लंबाई, चौड़ाई और गहराई के हिसाब से करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है। यह झील अगर इतने ही पानी की वजह से टूटती है तो निचले हिस्से में खासी तबाई की आशंका है।
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झील की प्रकृति को देखते हुए इसे फिलहाल खतरे का सबब नहीं माना जा रहा है, लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्र में आए दिन हो रहे बदलाव को देखते हुए किसी अनहोनी से भी इनकार नहीं किया जा रहा है। राहत यह भी है कि झील से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। झील पर एसडीआरएफ की पल-पल नजर रहेगी। इसके लिए वहां उसकी टीम तैनात नहीं होगी, बल्कि ऐसा सिस्टम स्थापित किया जा रहा है, जिससे झील की हर हलचल की लाइव रिपोर्ट उसे मिलती रहेगी। इस कड़ी में राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) ने झील के पास क्विक डिप्लायवल एंटीना (क्यूडीए) स्थापित करने का निर्णय लिया है।