उत्तराखंड के चमोली में मची तबाही के 2 हफ्ते से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है, मगर अभी तक लगभग 150 लोगों के शव नहीं मिल पाये हैं। परिजनों को अब अपनों के जिंदा नहीं बल्कि लाशों का इंतजार है, ताकि वो उनका अंतिम संस्कार कर पायें। हालांकि जो लाशें निकाली गयी हैं, उनमें से भी दर्जनों की पहचान नहीं हो पायी है। अब लाशों की पहचान करने के लिए डीएनए टेस्ट किया जा रहा है। यहां के लखीमपुर खीरी के भैरमपुर गांव से भी एक मजदूर लापता है। उसकी भी जिंदा या मुर्दा अब तक खबर नहीं मिल पायी है। लाश की पहचान के लिए अब प्रशासन ने गायब हुए मजदूरों के मां-बाप का डीएनए लेना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में भैरमपुर से गायब हुए विनोद की मां का भी सैंपल लिया जाना था, ताकि किसी लाश से सैंपल मिले तो उन्हें शव सौंपा जा सके। आगे पढ़ें:
यह भी पढ़ें: केदारनाथ आपदा से भी बड़ी है ऋषि गंगा में बनी झील, जमा है करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी
परिजनों का कहना है कि बेटे की लाश की कल्पना मात्र से ही मां को सदमा लग गाया और कल रविवार 21 फरवरी को उनकी मौत् हो गयी। जानकारी के मुताबिक विनोद तपोवन में काम करने गया था और 7 फरवरी को वहां आए सैलाब के बाद से वह लापता है। 14 दिन बाद भी विनोद का अता-पता नहीं चल पा रहा है। तमाम मजदूरों के लापता होने या मौत की खबर पाकर विनोद का बड़ा भाई सुरेश भी उसका पता लगाने तपोवन गया था और वह अभी तक वहीं है, मगर जिंदा या मुर्दा किसी भी हालत में विनोद का पता न चल पाने पर मां का डीएनए करवाया जाना था। मजदूर विनोद के भी गायब होने के बाद शनिवार 20 फरवरी को एसडीएम ओमप्रकाश गुप्ता जिला अस्पताल व सीएचसी निघासन के डॉक्टरों की टीम के साथ उसके घर गये थे, ताकि उसकी मां का डीएनए सैंपल लिया जा सके।