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देवभूमि में बेटी के पढाई के लिए बेची थी अपनी किडनी, फिर पैसों के लालच ने बना दिया…

उत्तराखंड के किडनी काण्ड से तो आप सभी भली भांति परिचित होंगे ही जब कुछ समय पहले हरिद्वार के लालतप्पड़ स्थित गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में एक सनसनीखेज मामला सामने आया था क्यूंकि इस अस्पताल में किडनी निकालने का गोरखधंधा पकड़ा गया था। इस गौरखधंधे के मास्टरमाइंड थे डॉक्टर अमित राउत, उसकी टीम और एक एजेंट जिसका नाम था चांदना जो सब मिलकर सालों से गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में ये सब काली करतूत कर रहे थे और लाखों रुपये का धंधा इससे चल रहा था। एजेंट चंदना की कहानी यहाँ कम दिलचस्प नहीं हो की आखिर क्यूँ और कैसे वो इस गोरखधंधे से जुड़ गयी थी।

पुलिस ने जब चांदना को गिरफ्तार किया उसने बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके कारण उसकी बेटी अपनी पढाई ढंग से नहीं कर पा रही थी इसी कारण वो अक्सर परेशान रहा करती थी उसके बाद करीब 2 साल पहले पश्चिम बंगाल में टीवी में एक विज्ञापन देखा जिसमें बताया गया था कि किडनी डोनेट करने पर आर्थिक मदद की जायेगी। इसके बाद जब उसने विज्ञापन में दिए गये नंबरों पर बात की तो किडनी रैकेट सरगना अमित राउत और उसकी टीम ने साढ़े चार लाख रुपये में चांदना की किडनी निकालकर अपने ग्राहक को ट्रांसप्लांट कर दी थी। इस पैंसे से पहले उसने सोचा कि अब उसकी बेटी अच्छे से पढाई करेगी पर साथ ही और अधिक पैंसे का लालच भी उसके दिमाग में आ गया था और वो जल्द से जल्द अमीर भी बनाना चाहती थी।

पैसों के लालच के कारण ही चांदना किडनी रैकेट गैंग से जुड़ गई और लोगों को रुपयों का झांसा देकर उसने पश्चिम बंगाल से करीब एक दर्जन ग्राहक किडनी बेचने के लिए लालतप्पड़ के चेरिटेबल अस्पताल भेजे, इसके बदले हर बार चांदना को 50 हजार से 1 लाख रुपये तक मिल जाते थे। लालतप्पड़ में किडनी रैकेट के पकड़े जाने के पहले चांदना रैकेट संचालकों के संपर्क में थी लेकिन जैसे ही इस गैंग के पकड़े जाने का पता उसे चला तो वो अंडर ग्राउंड हो गई और पश्चिम बंगाल के हावड़ा में जाकर किराए का घर लेकर टिफिन सप्लाई का काम शुरू करने लग गयी थी। चांदना की हावड़ा में होने की भनक जैसे ही पुलिस को लगी लालतप्पड़ चौकी इंचार्ज के साथ पुलिस की टीम वहां भेजी गयी उसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने हवाड़ा पुलिस की मदद से चांदना को गिरफ्तार किया और पांच दिन की ट्रांजिट रिमांड पर लेकर देहरादून लेकर आ गयी है।


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