सालों से बंद पड़े कमरे का दरवाजा जब खुला तो सबकी आँखें खुली की खुली रह गयी। कमरे के अंदर से 200 साल पुराना ऐसा खजाना निकला, जिसने भी खजाने को देखा उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ।
जी हाँ, हम बात कर रहे है उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की अगस्त्यमुनि ब्लाक के स्यूपुरी गांव की जहाँ एक घर के बंद कमरे से लगभग २०० साल पुरानी दुर्लभ पांडुलिपियां मिली है। बताया जा रहा है की स्यूपुरी गांव के निवासी सत्येंद्र पाल सिंह बर्त्वाल और धीरेंद्र सिंह बर्त्वाल अपने घर में साफ-सफाई कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सफाई के लिए अपने दादाजी स्वर्गीय ठाकुर हीरा सिंह बर्त्वाल का कमरा खोला जो उनके निधन के बाद से काफी समय से बंद पड़ा हुआ था। कमरा खोलने का बाद जब वह सफाई कर रहे थे तब उन्हें जो दिखा वह यकीन नहीं कर पाए। उन्हें कमरे मे तीन रिंगाल की कंडिया मिली, जिनमे २०० से अधिक प्राचीन पांडुलिपियां थी, जो दो सेमी से लेकर बारह फ़ीट लंबे कागज वाली है।
बताया जा रहा है की पांडुलिपियों की भाषा स्पष्ट पड़ने मे नहीं आ रही है, लेकिन ये पांडुलिपियां वर्ष 1785 से 1832 के बीच की बतायी जा रही है, क्यूंकि इनमे सबसे पुरानी पाण्डुलिपि वर्ष 1785 की लिखी गयी है। इन पांडुलिपियों मे कई देव स्तुतियों वाले पत्र और ऐतिहासिक वस्तुएं भी मिली हैं।
कुछ वर्ष पहले भी स्यूंपुरी गांव में मानवेंद्र सिंह बर्त्वाल के घर श्रीबदरीनाथ धाम की आरती से संबंधित पांडुलिपि मिली थी जिसे यूसैक द्वारा दुर्लभ धरोहर प्रमाणित किया गया।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने मीडिया को बताया है की ” इस प्रकार की प्राचीन और दुर्लभ पांडुलिपियों का मिलना गौरव की बात है। प्रशासन इनके शोध और संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास करेगा और जल्द ही विशेषज्ञों के साथ गांव पहुंचकर इनका भौतिक परीक्षण किया जाएगा।