दुनिया भर की बड़ी टेक कंपनियां-जिनमें अमेरिका की फेसबुक, गूगल और एमेजन तथा चीन की अलीबाबा और टेनसेंट प्रमुख हैं-भारत में रिलायंस, फ्लिपकार्ट और पेटीएम जैसी स्थानीय कंपनियों से मुकाबला कर रही हैं। चूंकि एक अरब तीस करोड़ की आबादी वाले भारत की एक तिहाई आबादी ही अभी ऑनलाइन हैं, ऐसे में, भारत में ऑनलाइन के प्रसार के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं।
पिछले मंगलवार को नई दिल्ली में गूगल ने भारत-केंद्रित अपनी अब तक की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की-यह वस्तुतः सस्ते स्मार्टफोन के लिए उसके एंड्रोएड ऑपरेटिंग सिस्टम और उससे संबंधित ऐप्स का नया संस्करण है। इसमें यूट्यूब गो है, जिसके जरिये उपभोक्ता वीडियो डाउनलोड कर अपने दोस्तों के बीच शेयर कर सकता है, तो गूगल गो जैसा सर्च इंजन है, जिसमें कोई चीज जानने के लिए टाइप करने के बजाय स्मार्टफोन की स्क्रीन टैप करनी पड़ती है।
गूगल की नेक्स्ट बिलियन यूजर्स यूनिट के वाइस प्रेसीडेंट सीजर सेनगुप्त कहते हैं, हमें यह देखना पड़ेगा कि हम निम्न मध्यवर्ग के उपभोक्ताओं के अनुकूल प्रोडक्ट कैसे तैयार कर सकते हैं। गूगल की यह यूनिट भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया जैसे उभरते बाजारों के लिए नए उत्पाद तैयार करने पर केंद्रित है। सेनगुप्त के मुताबिक, यह यूनिट गूगल की वरीयता सूची में बहुत ऊपर है।
भारत की युवा पीढ़ी में अनेक लोगों के पास बेसिक मोबाइल फोन है, जिसमें ऐप्स डालना या बड़ी फाइल स्टोर करना संभव नहीं है। डाटा प्लान्स सीमित हैं और टेलीकॉम कंपनियों में शुल्क कटौती की होड़ के बावजूद, जिससे एक मेगाबाइट तक के डाटा की कीमत में 97 फीसदी तक की कटौती हुई है, अनेक उपभोक्ता डाटा पैक खत्म हो जाने पर नया डाटा पैक नहीं ले सकते।