मिसाइल वो नाम जिसके सुनते ही मन में तबाही का मंजर नजर आ जाता है और अगर एक साथ 555 मिसाइलें हो तो फिर सोचिये क्या हो सकता है। हम यहाँ बात कर रहे हैं दिसम्बर 2004 की उधमसिंहनगर के काशीपुर शहर में स्थित है एसजी स्टील फैक्ट्री जिसमे तब स्क्रैप आ गया था, अब जब इस स्क्रैप को काटा जा रहा था तो स्क्रैप में मौजूद एक मिसाइल फट गयी जिसके कारण मौके पर ही एक मजदूर की मौत हो गयी थी, इस फैक्ट्री में विदेशों से भी भारी मात्रा में स्क्रैप आता था और जांच के बाद पता चला कि पूरे क्षेत्र में 67 बड़ी और 488 और छोटी मिसाइल सक्रिय हैं जिसके बाद पूरे प्रशासन में हडकंप मच गया था। और अब पिछले 13 सालों से ये 555 मिसाइलें यहीं मौजूद थी जिसके कारण आस पास के 5 गांवों की लगभग 20 हजार की आबादी इन्ही मिसाइलों के ढेर पर जीने को मजबूर थी।
और पिछले 13 साल से लोग मौत के ढेर पर जीने के लिए इसलिए मजबूर थे क्यूंकि इतने सालों के बाद भी प्रशासन मिसाइल डिफ्यूज करने के लिए फंड की ब्यवस्था नहीं कर पाया था। और अब 5 गांवों के लोगों ने चैन की सांस ली है क्यूंकि 13 साल के लम्बे इन्तेजार के बाद मिसाइल डिफ्यूज करने के लिए फंड की ब्यवस्था हो गयी है। जनवरी 2005 में एनएसजी की टीम यहाँ आयी थी और तब मिसाइलों को निष्क्रिय करने का पूरा सामान न होने के कारण काम रुक गया था और मिसाइलों को जसपुर की पतरामपुर चौकी के पास निर्जन स्थान में जमीन के नीचे दबा दिया गया था। और तब से हमेशा इन मिसाइलों को डिफ्यूज करने की मांग होती रहती थी।
एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने दिसंबर 2017 को पुलिस मुख्यालय से इस बारे में पत्र लिखा जिसके बाद अब बजट स्वीकृत हुआ है और अब मिसाइलों को डिफ्यूज करने की जिम्मेदारी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड(एनएसजी) को दी गयी है जो जल्द ही यहाँ पहुंचकर अपने काम में जुट जायेगी।