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आपदा में पूरी तरह से तबाह हुआ था ये गाँव, जानिये वो काम जिसने बदल दी इनकी किस्मत

साल 2013 में उत्तराखंड में आयी भयावह आपदा को भला कौन भूल सकता है, जब बाढ़ का एक जलजला सबकुछ अपने साथ बहाकर ले गया था, इस आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान जिन जिलों को हुआ था उनमें रुद्रप्रयाग और चमोली जिले प्रमुख हैं। इस आपदा के बाद से पूरे पहाड़ी जिलों में एक भय का माहौल भी बन गया था जिसका पहाड़ को सबसे ज्यादा नुकसान पलायन के रूप में भी चुकाना पड़ा था, उस दौरान बहुत सारे लोग अपने गाँव अपने घरों को छोड़कर शहरों की तरफ आने को मजबूर हो गये थे। इस आपदा में एक गाँव चमोली जिले का भी था जो उस दौरान पूरी तरह से तबाह हो चुका था।

उस भीषण आपदा में पूरी तरह से तबाह हुआ पुलना-भ्यूंडार गांव आज विकास की नर्इ कहानी लिख रहा है और इसके श्रेय किसी को जाता है तो वो है गाँव के मेहनती लोग जो आज अपने गाँव के साथ-साथ पूरे जिले को भी एक नयी पहचान दिलाने में लगे हुए हैं। गाँव के लोगों ने अपनी किस्मत को बदला मशरूम उगाकर जिसने न सिर्फ इनकी आर्थिकी को सुधारा है, बल्कि और लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है कि अगर हौसले बुलंद हों तो किसी भी परिस्थिति से निपटा जा सकता है। साल 2013 की भयावह आपदा में यह गांव पूरी तरह से तबाह हो चुका था, तब ज्यादातर परिवारों ने गांव छोड़ने में ही अपनी भलाई समझी थी लेकिन पूरे गाँव में चार परिवार ऐसे भी थे जिन्होंने पलायन करने के बजाय गांव में रहकर ही मशरूम की खेती का रास्ता चुन लिया था।

आज इन्हीं चार परिवारों की मेहनत का फल है कि पलायन कर चुके कई परिवार आज वापस अपने गाँव की ओर रुख कर रहे हैं और यहाँ लौटकर मशरूम की खेती में जुटे गये हैं। इन चार परिवारों ने सबसे पहले उजड़े हुए खेतों को संवारा और उनमें अन्न उपजाना शुरू करा था लेकिन फसलों को जंगली जानवरों से बचाना आज के समय में बहुत ही मुश्किल हो रहा था। इसके बाद उन्होंने अपने टूटे-फूटे घरों में मशरूम की खेती करनी शुरू कर दी थी और फिर पहले ही प्रयास में मशरूम का अच्छा-खासा उत्पादन हो गया था। इस मशरूम को बाजार के अलावा हेमकुंड आने वाले यात्रियों को भी बेचा गया नतीजा एक साल में ही चारों परिवार मशरूम बेचकर पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गए थे। इनकी देखादेखी गांव से पलायन कर चुके कुछ परिवार भी वापस लौट आए और अब मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं।


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