Home उत्तराखंड शहीद बेटे के कहने पर ही पिता ने बेचा था घोड़ा, कहा...

शहीद बेटे के कहने पर ही पिता ने बेचा था घोड़ा, कहा “पापा अब मैं कमाने लग गया हूं”

कई सालों से पुराने मकान में रह रहे थे, नए मकान बनाने की थी तैयारी ऐसा ही कुछ सोचा था पत्थरबाजों के हमले से शहीद हुए राजेंद्र ने. राजेंद्र के माता पिता बेहद गरीब हैं जो की कई सालों से गांव के पुराने मकान में रह रहे थे. बेटे के सेना में भर्ती होने के बाद पिता मकान का काम चालू करवा रहे थे. हर महीने घर पैसे भेजते थे. साथ ही फिलहाल दिवाली की सजावट की तैयारी चल रही थी. बेटे के दिवाली में घर आने की खबर पर मां-पिता फूले नहीं समाए. लेकिन फिर ऐसी खबर आई की सब बिखर गया. घर की दहलीज पर माता-पिता ऐसे चीखे-चिल्लाए की वहां मौजूद औऱ उस वीडियो को देख सबकी आंखों में आंसू आ जाए.

राजेंद्र बेहद सरल स्वभाव का लड़का था. पिछली छुट्टी में घर आए राजेंद्र की जिद पर ही पिता ने घोड़ा बेचा था। बेटे ने कहा था अब वो कमाने लग गया है तो अब घोड़ा बेच दो. राजेंद्र के पिता चंद्र सिंह की माली हालत ठीक नहीं थी। परिवार चलाने के लिए वह घोड़ा चलाते थे। घोड़े में डूनी से दुकानों का राशन ढोकर बेटे राजेंद्र और तीन बेटियों को गांव के स्कूल में पढ़ाया। घोड़े में राशन ढोने से इतना पैसा भी नहीं मिल पाता था कि चार बच्चों की जरूरतें पूरी हो सकें। साल 2015 में भर्ती हुए थे राजेंद्र बता दें कि राजेंद्र सिंह बुंगला (23) पुत्र चंद्र सिंह जाट रेजीमेंट (टीए) में सिपाही थे। वह वर्ष 2015 में भर्ती हुए थे। शहीद के पिता चंद्र सिंह माता मोहनी देवी के साथ ही बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने सरकार से पत्थरबाजों को आतंकी घोषित करने की घोषणा भी की है.


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here