कोरोना वायरस के फैलने के डर से लोग अपनों को भी घरों में घुसने से रोक रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला रविवार को बनारस में देखने को मिला।
वाराणसी के गोला दीनानाथ इलाके में रहने वाला अशोक (25) चार महीने पहले मुंबई कमाने गया था। सेंट्रल मुंबई के नागपाड़ा के एक होटल में वह काम करता था। लॉकडाउन के कारण होटल बंद हो गया। कई दिनों से खाने को कुछ न मिलने और पास में पैसा न होने से उसे परिवार की याद आई तो वह चंदौली जिले के 5 दोस्तों के साथ पैदल ही वाराणसी के लिए निकल पड़ा। भूखे-प्यासे लगातार छह दिन तक चलने के बाद सभी रविवार सुबह बनारस पहुंचे।
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रामनगर और मुगलसराय में रहने वाले दोस्त अपने घरों को चले गए लेकिन अशोक जब अफने घर पहुंचा तो मुंबई से कोरोना वायरस लेकर आने की आशंका से मां-भाई ने दरवाजा खोलने से साफ मना कर दिया। जिसके बद वह मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा पहुंचा पर वहां उसकी जांच नहीं हुई। फिर उसे किसी ने रिस्क लेकर अपनी कार से उसे कोरोना लेवल-टू दीनदायाल अस्पताल पहुंचाया।
प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टरों ने अशोक को 15 दिन तक घर में रहने की सलाह देकर छोड़ दिया। जांच कराने के बाद दोबारा घर पहुंचने पर भी उसे घर में घुसने नहीं दिया गया। जिसके बाद वह मोहल्ले में घूमता रहा। कुछ देर बाद वह कतुआपुरा अपने ननिहाल के लिए लिए निकल पड़ा लेकिन नानी ने भी दरवाजा नही खोला। देर शाम इस बात की जानकारी मिलने पर पुलिस ने युवक को उसके घर में प्रवेश कराया। युवक को फिलहाल घर के एक कमरे में अकेले रखा गया है।
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