बात है आज से लगभग 10 साल पहले की जब बीआरओ-66 आरसीसी गौचर ने रुद्रप्रयाग जिले में बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे को रुद्रप्रयाग में आबादी क्षेत्र से बाहर जोड़ने के लिए वर्ष 2008-09 में 920 मीटर सुरंग का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र की सरकार को भेजा था। उसके बाद गहन अध्ययन और विशेषज्ञों की राय के बाद केंद्र सरकार ने वर्ष 2011-12 में सुरंग के सर्वेक्षण के लिए स्वीकृति दी गई थी और उसके बाद औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद वर्ष 2015-16 में सर्वेक्षण किया गया था।
चारधामयात्रियों के साथ-साथ पहाड़ के रहने वाले लोगों के लिए ये अच्छी खबर अब सामने आ गयी है। क्यूंकि अब चारधाम विकास परियोजना के तहत रुद्रप्रयाग में 920 मीटर सुरंग बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। इस सुरंग की खासियत ये है कि रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड के साथ-साथ ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को आपस में जोड़ेगी। सुरंग बनाने के लिए भारत सरकार की तरफ से हरी झंडी मिल गई है। रुद्रप्रयाग में यात्रा सीजन में आये दिन लगने वाले जाम से जूझ रहे लोगों को जाम से जल्द ही निजात मिलने वाली है। चारधाम विकास परियोजना के तहत बन रही सुरंग का फायदा चारधामयात्रियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी होने वाला है।
इसके लिए बीआरओ को डीपीआर तैयार करने के निर्देश दे दिए गए हैं। इस सुरंग की खासियत ये होगी कि दोनों राजमार्ग को जोड़ने वाली यह सुरंग उत्तराखंड में सबसे लंबी सड़क सुरंग होगी। चारधाम विकास परियोजना के तहत रुद्रप्रयाग में जगतोली (लोनिवि कार्यालय से कुछ आगे) में बने जवाड़ी बाईपास पुल के पास से सुरंग का निर्माण होगा, जो दूसरे छोर पर रुद्रप्रयाग-चोपता-पोखरी मोटर मार्ग पर बेलणी आबादी क्षेत्र से कुछ दूर निकलेगी। यहां अलकनंदा नदी पर पुल का निर्माण कर इसे बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा जाएगा। बीआरओ-66 आरसीसी गौचर के कमान अधिकारी नागेंद्र कुमार ने बताया कि भारत सरकार से 920 मीटर सुरंग निर्माण की सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद फाइनल डीपीआर तैयार करने को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।