Home देश तो क्या सिर्फ मिडिल क्लास, गरीबों और मजदूरों के लिए है लॉकडाउन?...

तो क्या सिर्फ मिडिल क्लास, गरीबों और मजदूरों के लिए है लॉकडाउन? कल के ये दो उदाहरण हैं गवाह

देश में 25 मार्च से लॉकडाउन चल रहा है और जो फिलहाल 3 मई तक जारी रहेगा क्यूंकि प्रधानमंत्री मोदी ने 14 अप्रैल को इसे अगले 19 दिनों के लिए बड़ा दिया है। लॉकडाउन के कारण जो जहाँ है वो वहीँ रह गया। इस दौरान सबसे बुरा हाल गरीब और मजदूर तबके का हुआ क्यूंकि न उनके पास खाने के लिए पैसा है और न ही रहने के लिए छत। पर अगर गौर से नजर डालें तो अमीर और रसूखदार लोग तो इस लॉकडाउन की कई बार धज्जियाँ उड़ा चुके हैं और इस लॉकडाउन का खामियाजा सिर्फ मिडिल क्लास, गरीब और मजदूर ही भुगत रहा है।

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इसका जीता जागता उदाहरण देखना है तो कल की दो घटनाओं पर नजर डालिए एक तरफ जहाँ कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बेटे की शादी तो वहीँ दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश की योगी सरकार का यह फैसला कि कोटा में फंसे यूपी के छात्रों को लाने के लिए 200 बसें भेजी जायेंगी। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते निखिल कुमारस्वामी ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री एम कृष्णप्पा की पोती रेवती से शादी की। हालांकि, कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से मेहमानों की संख्या कम रही और लोगों के देखने के लिए मंडप के पास बड़ी टीवी स्क्रीन्स लगाई गई थीं।

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लेकिन क्या ये चिंताजनक नहीं है कि शादी को कवर करने के लिए 10 कैमरामैन मौजूद थे और अब तक की जानकारी के अनुसार 200 से अधिक लोगों ने इस सामारोह में हिस्सा लिया और इन्हें लाने-लेजाने के लिए कई गाड़ियों की व्यवस्था की गयी थी। साफ़ है कि इस समारोह में लॉकडाउन की भी धज्जी उड़ाई गई और सोशल डिस्टेंसिंग की तो छोड़ दीजिये किसी ने अपने चहरे पर मास्क तक नहीं लगा रखा था। जबकि पीएम मोदी देश के नाम संबोधन में कह चुके थे कि बाहर निकलने पर मास्क अवश्य पहनें।

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दूसरा मामला है उत्तरप्रदेश से जुड़ा हुआ जहाँ की  सरकार ने 250 से भी ज्यादा बसें राजस्थान के लिए रवाना की हैं। जिससे कि वहां पढ़ रहे यूपी के छात्रों को वापस उनके घर लाया जा सके। एक बात तो पूरी तरह से साफ़ है कि कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई वही छात्र कर रहा होगा जो संपन्न परिवार से आता होगा। इसलिए उन्हें खाने या रहने संबंधी किसी संकट का सामना भी नहीं करना पड़ रहा होगा। आठ हजार कोचिंग छात्रों को इन बसों से वापस यूपी बुला लिया गया है। जबकि देश के कई हिस्सों में ऐसे लाखों गरीब और मजदूर फंसे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी मयस्सर नहीं हो रही है लेकिन फिर भी इस मुसीबत की घड़ी में देश के साथ खड़े हैं। तो आखिर ये दोहरा चरित्र क्यूँ अगर बसें भेजकर छात्रों को उनके राज्यों में भेजा जा सकता है तो यहां फंसे लाखों मजदूरों के लिए ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है?


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