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‘आत्मनिर्भर भारत’ में चीन के उत्पादों का होगा बहिष्कार? पर पहले इन आंकड़ों पर गौर कीजिये

दुनियांभर में फ़ैली कोरोना वायरस महामारी और फिर चीन के साथ ताजा सीमा विवाद के बाद भारत में चीनी सामानों का बहिष्कार करने की मांग जोर-शोर से उठ रही है। हालांकि, वह बात अलग है कि यह सब उतना आसान नहीं होने वाला है। आंकड़ों पर गौर करने का बाद आपको इस बात का इल्म हो जाएगा कि भारत में चीनी उत्पादों से दूरी रख पाना कितना मुश्किल है।

स्मार्टफोन : चीन का 72% मार्केट पर कब्जा

देश में स्मार्टफोन बाजार 2 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 72% है। चीनी स्मार्टफोन से निजात पाना बेहद मुश्किल है, क्योंकि इस दबदबा हर प्राइस सेगमेंट में है।

सौर ऊर्जा : चीन का 90% मार्केट पर कब्जा

देश में सौर ऊर्जा का मार्केट साइज 37,916 मेगावाट का है, जिसमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 90% है। इस सेगमेंट में चीनी माल से निजात पाना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां कमजोर हैं और अन्य विकल्प महंगे हैं।

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फार्मा/एपीआई: चीन का 60% मार्केट पर कब्ज़ा

भारत में फार्मा/एपीआई का मार्केट साइज 15,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 60% है। इस सेगमेंट में भी चीनी माल से निजात पाना बेहद कठिन होगा। अन्य स्रोत महंगे हैं और बड़ी केमिकल फैक्ट्रियों के आड़े कई तरह की मुश्किलें आएंगी।

टेलिविजन : चीन का 45% मार्केट पर कब्जा

भारत में टेलिविजन का बाजार 25,000 करोड़ रुपये का है। स्मार्ट टेलिविजन बाजार में चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 42-45% और गैर-स्मार्ट टेलिविजन मार्केट में 7-9% है। इस मार्केट सेगमेंट में भी हम चीनी माल से निजात पा सकते हैं, लेकिन यह बेहद महंगा पड़ेगा, क्योंकि गैर-चीनी टेलिविजन 20-45% महंगे हैं।

दूरसंचार उपकरण : चीन का 25% मार्केट पर कब्जा

दूरसंचार उपकरणों का बाजार 12,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 25% है। चीनी दूरसंचार उपकरणों से भी निजात पा सकते हैं, लेकिन यह हमारे लिए काफी महंगा पड़ेगा। टेलिकॉम कंपनियों के मुताबिक, अगर वे अमेरिकी तथा यूरोपीय दूरसंचार उपकरणों को खरीदने का विचार करते हैं तो उनकी लागत 10-15% तक बढ़ जाएगी।

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होम अप्लायंसेज : चीन का 12% मार्केट पर कब्जा

देश में होम अप्लायंसेज का मार्केट साइज 50 हजार करोड़ रुपये का है, जिसमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 10-12% है। इस सेगमेंट में हम आसानी से चीनी माल से निजात पा सकते हैं, लेकिन अगर कोई बड़ी चीनी कंपनी इस सस्ते उत्पादों के साथ उतरती है तो फिर बेहद मुश्किल होगी।

ऑटोमोबाइल कल-पुर्जे : चीना का 26% मार्केट पर कब्जा

देश में ऑटोमोबाइल कल-पुर्जों का बाजार 4.27 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 26% है। इस सेगमेंट में भी चीनी माल से निजात पाना मुश्किल होगा, क्योंकि इसके लिए घरेलू या वैश्विक विकल्प ढूंढना आसान नहीं होगा।

इंटरनेट ऐप : चीनी ऐप के दीवाने भारतीय यूजर

देश में 45 करोड़ स्मार्टफोन यूजर हैं, जिसमें 66% लोग कम से कम एक चीनी ऐप का इस्तेमाल करते हैं। इस सेगमेंट में चीन से निजात पाना आसान है, लेकिन भारतीय यूजर्स को टिकटॉक जैसे ऐप से मोह को त्यागना होगा और इसका विकल्प ढूंढने में भारत को अभी तक नाकामी ही हाथ लगी है।

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