कोरोनावायरस टेस्टिंग के लिए नयी-नयी तकनीकी पर शुरुआत से ही काम हो रहा है। इसी कड़ी में भारत और इजरायल के वैज्ञानिकों की मेहनत जल्द ही रंग लाने वाली है, क्योंकि दोनों देशों की तरफ से संयुक्त रूप से ऐसी तकनीकी विकसित की जा रही जिससे एक मिनट से भी कम समय में ही कोरोना टेस्टिंग के नतीजे मिल जायेंगे। कोविड-19 टेस्ट की रैपिड स्क्रीनिंग टेक्नोलॉजी बस कुछ ही दिनों में हमारे सामने आने वाली है। इस तकनीक के तहत बस आपको एक ट्यूब में फूंक मारनी होगी और 30 से 50 सेकेंड में पता लग जाएगा कि आप संक्रमित हैं या नहीं।
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भारत में इजराइल के राजदूत रॉन मल्का ने कहा कि इजराइल चाहता है कि भारत इस त्वरित जांच किट के लिये विनिर्माण केंद्र बने तथा दोनों देश कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये टीका विकसित करने पर भी सहयोग करेंगे। साथ ही विनिर्माण में भारत के मजबूत भूमिका में होने से, वह इसके उत्पादन में काफी मायने रखता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की त्वरित जांच परियोजना अपने अंतिम चरण में है। मल्का ने कहा मुझे लगता है कि यह बस कुछ ही दिनों की बात रह गई है। इस प्रक्रिया में शामिल लोगों से मैं जो कुछ सुन रहा है, उसके अनुसार एक विश्वसनीय एवं सटीक प्रौद्योगिकी को या विश्लेषण की जा रही चार विभिन्न प्रौद्योगिकी में से एक से अधिक के संयोजन को अंतिम रूप देने में दो-तीन हफ्ते से अधिक वक्त नहीं लगना चाहिए।
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भारतीय और इजराइली अनुसंधानकर्ताओं ने चार विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकी के लिये भारत में बड़ी संख्या में नमूने एकत्र करने के बाद परीक्षण किये हैं, इनमें सांस की जांच करना और आवाज की जांच करना भी शामिल है, जिसमें कोविड-19 का त्वरित पता लगाने की क्षमता है। ‘आइसोथर्मल’ जांच भी है, जिसके जरिये लार के नमूने में कोरोना वायरस की मौजूदगी की पहचान की जा सकती है और ‘पोली-अमीनो एसिड’ का उपयोग करते हुए भी एक जांच है, जो कोविड-19 से संबद्ध प्रोटीन को अलग-थलग करती है।
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मल्का ने बताया कि उनसे वैज्ञानिकों ने कहा है कि इन चार प्रौद्योगिकी का चयन करने के लिये दर्जनों प्रौद्योगिकी की जांच की गई , जो अंतिम चरण में पहुंचने के लिये अब अलग-अलग मांगों के मुताबिक विभिन्न स्तरों से गुजरी हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं आशावादी हूं कि सभी शुरूआती परिस्थितियां गुजर चुकी हैं।’ राजदूत ने कहा कि यह नयी त्वरित जांच निर्णायक साबित होने वाली है और इस बारे में एक शानदार उदाहरण है कि भारत और इजराइल के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कितना सार्थक हो सकता है।