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उत्तराखंड: नम आंखों से शहीद यशपाल सिंह को अंतिम विदाई, 3 अक्टूबर को ही लौटे थे ड्यूटी पर

उत्तराखंड व देश को जम्मू कश्मीर में एक बडी क्षति हुई, जहां उत्तराखंड रामनगर के पीरूमदारा मयूर विहार निवासी 39 वर्षीय हवलदार यशपाल सिंह का ब्रेनहैमरेज के कारण निधन हो गया था। वह 19 गढ़वाल राइफल के जवान थे, और इन दिनों जम्मू कश्मीर में तैनात थे। आज उनका पार्थिव शरीर उनके रामनगर स्थित आवास पर लाया गया, जहां उन्हें अंतिम विदाई दी गई। दिवंगत यशपाल मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल बैजरो तोल्यो गांव निवासी थे, और लंबे समय से परिवार के साथ रामनगर के पीरूमदारा में बस गए थे। दिवंगत हवलदार यशपाल सिंह रावत के भाई जसवंत सिंह ने बताया कि यशपाल 3 अक्टूबर को ही छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे थे। 5 अक्टूबर को वह ड्यूटी के दौरान गिर पड़े जिससे उनके सिर में चोट लग गई, जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए सैन्य अस्पताल लाया गया। जहां 6 अक्टूबर रात उनकी मौत हो गई।

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हवलदार यशपाल सिंह रावत की मौत के बाद उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है, वह अपने पीछे दो बच्चों व परिजनों को रोता-बिलखता छोड़ गए हैं। उनका पार्थिव शरीर लेकर उनके घर पहुंचे 48-आरआर बटालियन के सूबेदार ताजबीर सिंह ने बताया कि हाल ही में छुट्टी से लौटे जवान हवलदार यशपाल सिंह 5 अक्टूबर को रॉल कॉल के दौरान गिर पडे थे जिससे उनके सिर में चोट आ गई, उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद सैन्य अस्पताल ऊधमपुर रैफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। आज सुबह ही उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके रामनगर स्थित आवास पर लाया गया, जहां बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। अंतिम विदाई के बाद उनके पार्थिव शरीर को रामनगर के विश्राम घाट ले जाया गया जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

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