Home रुद्रप्रयाग केदारनाथ में हेली सेवाओं ने चौपट किया पालकी का कारोबार, देखिये रिपोर्ट

केदारनाथ में हेली सेवाओं ने चौपट किया पालकी का कारोबार, देखिये रिपोर्ट

केदारनाथ धाम में हेली कंपनियों की बढ़ती दखल ने जिला पंचायत की आर्थिकी को चौपट कर दिया है। आपदा से पूर्व यात्रा काल में जहां डंडी-कंडी, पालकी, घोड़ा-खच्चर आदि से जिला पंचायत को तीन करोड़ से अधिक की आय होती थी, वहीं अब यह एक करोड़ से भी कम रह गई है। खासकर पालकी कारोबार तो लगभग बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। इसका असर जिला पंचायत के साथ ही केदारघाटी के युवाओं के रोजगार पर भी पड़ा है। इस वर्ष मात्र नौ हजार यात्री ही पालकी से बाबा के दर्शनों को पहुंचे।  रुद्रप्रयाग जिला पंचायत की आय का मुख्य स्रोत पूर्व से ही केदारनाथ यात्रा रही है। लेकिन, आपदा के बाद व्यवस्थाओं में आए बदलावों के चलते जिला पंचायत की आय कई गुना कम हो गई है। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा से जिला पंचायत को मात्र 96 लाख 19 हजार 592 रुपये की आय हुई। इसमें गौरीकुंड में बने दो पार्किंग स्थलों का बड़ा योगदान है। पार्किंग स्थलों से उसे क्रमश: 22 लाख व 16 लाख की कमाई हुई। जबकि, पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चर के चालान से उसे पांच लाख 44 हजार 450 रुपये मिले।

आपदा से पूर्व की स्थिति पर नजर डालें तो तब जिला पंचायत को यात्रा से तीन करोड़ से अधिक की कमाई होती रही है। लेकिन, अब जहां घोड़ा-खच्चर पर लिए जाने वाले टैक्स को जिला पंचायत के बजाय प्रशासन वसूल रहा है, वहीं पालकी से यात्रा करने वालों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। आपदा से पूर्व लगभग 25 हजार यात्री हर सीजन पालकी से केदारनाथ दर्शनों को जाते थे, वहीं इस वर्ष यह संख्या नौ हजार पर सिमट गई। यह स्थिति यात्रियों के हेली सेवाओं के प्रति बढ़ते रुझान से पैदा हुई है। इसका सीधा लाभ हेली कंपनियों को मिल रहा है, जबकि पालकी से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलता था। विदित हो कि केदारनाथ के लिए पालकी और हवाई टिकट के दाम लगभग एक समान हैं, जबकि पालकी से केदारनाथ जाने में छह घंटे और हेली सेवा से मात्र आठ मिनट लगते हैं। ऐसे में आम यात्री पालकी के बजाय हेली सेवा से जाने को प्रमुखता दे रहा है। जिला पंचायत भले ही घाटे में आ गई हो, लेकिन जिला प्रशासन के लिए केदारनाथ यात्रा वरदान साबित हो रही है। यात्रा के दौरान प्रशासन प्रति घोड़ा-खच्चर 150 रुपये टैक्स वसूलता है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि इस बार कुल 238000 यात्री घोड़ा-खच्चर से केदारनाथ पहुंचे, जिनसे प्रशासन को 3.57 करोड़ की आय हुई। इस राशि को यात्रा व्यवस्थाएं बेहतर बनाने में खर्च किया जाएगा।


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