Home उत्तराखंड क्या आप जानते है बद्रीनाथ मे क्यों नहीं बजाया जाता शंख ?...

क्या आप जानते है बद्रीनाथ मे क्यों नहीं बजाया जाता शंख ? जानिए इसके पीछे की खास वजह

क्‍या आपको पता है चारों धाम में सर्वश्रेष्ठ कहे जाने वाले बदरीनाथ में शंख नहीं बजाया जाता? खासकर जब शंख भगवान विष्‍णु की पूजा का जरूरी हिस्‍सा है। बद्रीनाथ धाम की यात्रा तो बहुत लोगो ने की होगी लेकिन क्या कभी इस बात पर गौर किया है कि इस मंदिर में शंख क्यों नहीं बजता? भारत के सभी मंदिरो में शंख बजाने की प्रथा है, लेकिन केवल एक बद्रीनाथ ही ऐसा धाम है जहाँ कभी शंख नहीं बजता।

उत्तराखण्ड के चमोली गढ़वाल, जहाँ से केदारनाथ की यात्रा होती है वही रुद्रपयाग से आगे मन्दाकिनी पुनि के तट पर हिमालय की गोद में सिल्ला नामक स्थान पर श्री शनेश्वर महाराज जी का भव्य मंदिर स्थित है। लोक कथाओ के आधार पर कहा जाये तो इस पुरातन स्थान पर महाराज शनेश्वर जी की हजारो वर्षो से पूजा करते थे। लेकिन कालांतर में इस स्थान पर दैत्यों का बोलबाला हो गया था। ये देत्य नरभक्षी हुआ करते थे। जो भी पुजारी मंदिर में पूजा करने जाता, ये देत्य उसका भक्षण किया कर देते थे। कहा जाता है कि जब देवता का एक मात्र पुजारी रह गया तो सत्य के उपासक महात्मा अगस्तय दया भाव दिखाने के लिए इस स्थान पर चले आए।

उस दिन की पूजा का दायत्व स्वयं उन्होंने ले लिया। जब महृषि अगस्तय उस दिन भोग लगा रहे थे तभी मायावी देत्य वहां पर प्रकट हो गए। इन्हे देख कर महृषि बड़े संकट में पड़ गए फिर वह अपनी कोख को मलने लगे और परा शक्ति का ध्यान करने लगे। महृषि ने जैसे ही परा शक्ति का ध्यान किया त्यूँ ही भगवती कुष्मांडा देवी प्रकट हो गई। उस सिंह वाहनी ने सभी देत्यो का संघार किया।लेकिन उन देत्यो में से आतापि और वातापी नामक दो देत्य भागने में सफल हो गए। और उनमें से एक देत्य बद्रीनाथ में शंख के अंदर जा कर छिप गया और दूसरा देत्य सिल्ली नामक नदी में जाकर छिप गया. कुषमांडा माता द्वारा उस दैत्य को बाधित तो कर दिया गया परंतु शंख की ध्वनि अत्यंत शक्तिशाली व ऊर्जावान होती है और इस ध्वनि से वह दैत्य पुनः सक्रिय ना हो जाए इसलिए उस दिन से बद्रीनाथ मंदिर मे शंख नहीं बजाया जाता। बाक़ी सारी पूजा आज भी बद्रीनाथ मंदिर में हिंदू रीति व धर्म कर्म के साथ ही की जाती है।

बदरीनाथ में शंख नहीं बजाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथ्‍य भी हैं। यह इलाका अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है। शंख से निकली ध्वनि पहाड़ों से टकरा कर प्रतिध्वनि पैदा करती है। इस वजह बर्फ में दरार पड़ने अथवा बर्फीले तूफान आने की आशंका रहती है। अमर उजाला की खबर के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि विशेष आवृत्ति वाली ध्वनियां पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में पहाड़ी इलाकों में भूक्षरण भी हो सकता है।