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उत्तराखंड: बारिश से बुरा हाल…नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर…पुल में दरार…कानपुर तक हाई अलर्ट

उत्तराखंड में पहाड़ों में लगातार हो रही भारी बारिश से शनिवार से  गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। वर्ष 2013 की आपदा के बाद पहली बार गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने से तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक तक पहुंच गया। जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर भीड़गोड़ा बैराज के सभी गेट एक साथ खोल दिए गए हैं। बैराज खुलने से गंगनहर के जरिये उत्तर प्रदेश के लिए सिंचाई को छोड़ा जाने वाला पानी बंद हो गया।

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बैराज के पानी के बहाव से चंडी टापू को जोड़ने के लिए महाकुंभ में बनाए गए अस्थायी पुल के एप्रोच में दरारें आ गईं। नमामि गंगे घाट पानी में डूब गए। हालांकि, जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। बद्रीनाथ और केदारनाथ हाईवे के साथ ही पिथौरागढ़ और चमोली में चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग मलबा आने से बंद हैं। इसके अलावा प्रदेश में भूस्खलन के कारण 200 से ज्यादा संपर्क मार्गों पर आवागमन बाधित है और 800 से अधिक गांव जिला मुख्यालयों से कट गए हैं। गढ़वाल में गंगा, मंदाकिनी और अलकनंदा, वहीं कुमाऊं में गोमती, सरयू, गोरी और काली नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं।

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नदियों के रौद्र रूप को देखते हुए कई शहरों में तटीय इलाकों को खाली करा दिया गया है। ऋषिकेश में पुलिस की टीम तटीय क्षेत्रों में गश्त कर रही है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से खड़खड़ी श्मशान घाट स्थित पुल भी टूट गया। पुल भागीरथी बिंदु से आने वाले धारा के ऊपर बना है। वहीं, चंडी घाट पर निर्माणाधीन पुल की सामग्री बह गई और तीन जेसीबी भी डूब र्गइं। परमार्थ घाट, कनखल और नमामि गंगे घाटों पर लगे आस्था कलश बह गए। खड़खड़ी श्मशान घाट के पास पिछले अर्द्धकुंभ में पुल बनाया गया था।

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