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उत्तराखंड में लाखों का पैकज छोड़कर ये युवा दवा बैंक खोलकर कर रहा गरीबों की मदद

ये वो वक्त है जब कोई भी इंसान अपना भविष्य संवारने के लिए जीतोड़ मेहनत करता है  और जब इस प्रतिस्पर्धा के जमाने में उसे उसका मुकाम मिल जाता है तो वो सब कुछ छोड़कर अपने उस काम में ही जीवनभर जुटा रहता है। अब चाहे उस नौकरी के लिए उसे अपनों से दूर किसी दूसरे शहर में रहना पड़े या देश छोड़कर ही विदेशों में जाना पड़े। पर दुनियां में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता और वो अपना जीवन गरीबों और जरुरतमंदों की सेवा में ही लगा देते हैं।

इसी कड़ी में यहाँ बात हो रही है उत्तराखंड के एक युवा की जो अपनी लाखों की सैलरी का पैकज छोड़कर गरीबों की सेवा में लगा हुआ है और इसके लिए उसने जो रास्ता चुना है वो है दवा बैंक खोलकर गरीबों, जरुरतमंदों और मजदूरों को न केवल दवाएं दे रहे हैं बल्कि उनका वहां निशुल्क इलाज भी मिल रहा है। ये पूरी कहानी है उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के 23 वर्षीय सुमित कुमार की जो चन्द्रबनी-भुत्तोवाला के रहने वाले हैं। अपनी पढाई के लिए इन्होने पहले पॉलिटेक्निक किया और इसके बाद एमएससी फिजिक्स से पूरा किया और फिर अपनी योग्यता के आधार पर फरीदाबाद में जेसीबी कंपनी में 16 लाख का सालाना पैकज मिल गया था। पर सुमित का यहाँ मन नहीं लगता था क्यूंकि अपनी पढाई के दौरान इनका अधिकाँश समय कुष्ठ रोगियों के आश्रम में बीता था तो वो हमेशा से ही इनके लिए कुछ करना चाहते थे।

इसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर वापस अपने घर देहरादून की तरफ रुख किया और इस दौरान घरवालों ने उनसे पिता के कारोबार में हाथ बंटाने को कहा पर सुमित ने इस बात के लिए साफ़ इनकार कर दिया। फिर उन्होंने गरीबों की मदद के लिए ‘अमूल्य जीवन विकास चेरीटेबल सोसाइटी’ का गठन किया। फिर जुलाई 2017 से सुमित अपने घर से ही गरीबों के की मदद के लिए लोगों के घरों से बची हुई दवाएँ एकत्रित करनी शुरू कर दी और उसे गरीबों में देने लगे। उनकी ये मुहिम रंग लाने लगी और लोग उनसे जुड़ते चले गए इन लोगों में कई दवा कंपनियां, मेडिकल स्टोर और समाजेसेवी भी शामिल थे।

इन सबके सहयोग से लोगों के घरों से दवाई इकट्ठी होने लगी और इनके मेडिकल स्टोरों और दुकानों में अलग से डिब्बे रखे गए जिनमे लोग अपनी दवाएं रख लेते थे। इसके बाद कुछ समय में ही सुमित कुमार का पूरा घर मेडिकल स्टोर में बदल गया। सुमित की लगन देखकर घरवालों ने उन्हें पूरा घर ही दवाइयों के लिए दे दिया और अब सुमित यहाँ जरुरतमंदों की मदद में लगे रहते हैं। सुमित का कहना है कि उन्हें इस पूरे काम में बड़ी ख़ुशी मिलती है और अब उनका इसी तरह दूसरा लक्ष्य है रोटी बैंक बनाने का जिससे वो भूके लोगों की मदद कर सकें।


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