पूरी दुनियां में लोग इस समय नए साल का जश्न मना रहे हैं, हर कोई एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देने में व्यस्त है और इसके साथ ही 31 दिसम्बर और 1 जनवरी का समय कुछ ऐसा होता है कि हर कोई इस समय को सेलिब्रेट करना चाहता है। जब बात आती है सेलिब्रेशन की तो पहाड़ी राज्य खुदबखुद सभी लोगों की पहली पसंद बन जाते हैं और पहाड़ी राज्यों में भी वो जगह जहाँ बर्फ हो वो तो हर किसी की पसंदीदा जगह होती है। बात अगर उत्तराखंड की करैं तो यहाँ के हिल स्टेशन इतने खुबसूरत हैं कि ये खुदबखुद लोगों को अपनी ओर खींच लेते हैं और इनमें भी जो नाम सबसे पहले हर किसी के दिमाग में आते हैं वो हैं नैनीताल और मसूरी।
नए साल के इस जश्न में डीजे और ढोल की थाप पर पूरे उत्तराखंड में लोग जमकर थिरके। अपनों के साथ जमकर मस्ती और धमाल मचाया गया। आसमां में खूबसूरत आतिशबाजी का नजारा देखने को मिला। होटलों, क्लबों, रेस्टोरेंट, गली-मोहल्लों, सड़कों, कॉलेज हॉस्टलों, कॉलोनियों और घरों में न्यू ईयर पार्टी का सेलिब्रेशन उमंग और उल्लास के साथ हुआ। इस दौरान देर रात तक बाजारों में रौनक भी रही। पूरी देश दुनियां से भी हजारों सैलानी इस दौरान उत्तराखंड की खुबसूरत वादियों में नए साल का जश्न मनाने आये हुए थे। पर इस बार एक दिलचस्प घटना भी देखने को मिली है और वो ये कि 31 दिसम्बर और 1 जनवरी को जिस तरह से नैनीताल और मसूरी के सड़कें लोगों से गुलजार रहती थी, सड़क पर वाहन रेंगते हुए दिखाई देते थे इस बार वैसा नजारा देखने को नहीं मिला है।
इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण नजर आ रहा है कि लोग अब वैसी जगहों पर जाना अधिक पसंद कर रहे हैं जहाँ पर भीड़भाड़ ज्यादा न हो लोग आराम से अपने वाहनों को पार्क कर सकें और सुकून के साथ नए साल का जश्न मना सकें और यही कारण था सैलानियों की पहली पसंद इस बार दो खुबसूरत जगहें औली और चोपता रही। इन जगहों पर जो सुकून और शांति मिलती है वो आज मसूरी और नैनीताल में मिलना संभव नहीं है और ऊपर से जो शानदार नजारे इन जगहों से दिखते हैं वो दुनियां में कहीं और से देखने को नहीं मिल सकता है।