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जन्म दिन विशेष: अगर ये हार न हुई होती तो आज अजय बिष्ट योगी आदित्यनाथ न होते, जानिये कुछ अनसुनी कहानी

आज उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्म दिन है, योगी मूल रूप से उत्तराखंड के यमकेश्वर ब्लॉक के एक छोटे से गाँव पंचुर के रहने वाले थे और एक छोटे से गाँव के युवक के तौर पर अपने जीवन की शुरुआत करने वाले योगी ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है योगी से पहले भी कुछ और नाम उत्तराखंड से रहे हैं जो  उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं उनमें गोविंद वल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा और एनडी तिवारी जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं पर जिस साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर योगी ने ये सफ़र तय किया है वो किसी परीकथा से कम नहीं है।

पांच जून 1972 को नंद सिंह बिष्ट के घर योगी का जन्म हुआ था जिनका असली नाम अजय मोहन सिंह था 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अजय बिष्ट कोटद्वार डिग्री कालेज बीएससी के लिये आये। शुरुआत में अजय बिष्ट अंतर्मुखी स्वभाव के थे पर चाहते थे कि उनके कस्बे में अपनी पहचान हो तो सबसे आसान रास्ता उन्हें छात्र संघ का चुनाव लगा, वो उस वक्त एबीवीपी से भी जुडे़ हुए थे, मगर उन्हें उस समय महासचिव पद का टिकट नहीं दिया गया तो अपने समर्थकों के कहने पर योगी बागी होकर चुनाव के अखाड़े में उतर गये पर इस चुनाव में अजय बिष्ट को बुरी तरह हार का मुहं देखना पड़ा और वो पांचवें नंबर पर रहे। योगी इस हार से अभी बाहर भी न निकले थे कि कोटद्वार में उनके छोटे से कमरे में चोरों ने हाथ साफ़ कर दिया।

इन सब से हालातों से परेशान होकर अजय बिष्ट ने अपने मामा महंत अवैद्यनाथ को चिट्ठी लिखी और उनसे विनती की को वो उन्हें अपने पास बुला लें और फिर वो साल 1992 में वह गोरखपुर चले गए और फिर वहीं के होकर रह गए। क्यूंकि महंत अवैद्यनाथ के पास पहुंचने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बाकायदा दीक्षा ली। उसके बाद अपने  पिता को यमकेश्वर चिट्ठी भेजी, जिसमें सारी स्थितियों को सामने रखा और उन्होंने इसमें लिखा था कि अब उन्होंने दीक्षा ले ली है तो अब अजय बिष्ट मर गया है और योगी आदित्यनाथ का जन्म हो गया है।

जब योगी मात्र 22 साल के थे तभी से उन्होंने अपना परिवार त्याग दिया था उसके बाद जब गोरखपुर में महंत अवैद्यनाथ के समाधिस्थ होने पर वह गोरक्षपीठाधीश्वर बने और बारहवीं लोक सभा (1998-99) में मात्र 26 वर्ष की उम्र में वह सबसे कम उम्र के सांसद बने उसके बाद लगातार पांच बार वो गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे और फिर सांसद रहने के दौरान ही साल 2017 में उन्हें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सोंपी गयी।


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