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उत्तराखंड: लॉकडाउन में बढ़े खुदकुशी के मामले, 4 महीनों में 187 लोगों ने की आत्महत्या

कोरोना महामारी ने देश दुनिया की रफ्तार पर लगाम लगा दी है। इसकी मार से विश्व का कोई भी देश अछूता नहीं है। कोरोना महामारी के बीच लगे लॉकडाउन में लोग घरों में कैद रहने को मजबूर हो गए। वहीं, चार दीवारियों के बीच लोगों को अपने भविष्य की चिंता, जान का खतरा, आर्थिक तंगी और रोजगार की चिंता पल पल सताने लगी है। जिसकी वजह से लोग इन दिनों काफी तनाव महसूस कर रहे हैं। वहीं, कई लोग तनाग्रस्त होकर आत्महत्या कर रहे हैं। प्रदेश में कोरोना काल में आत्महत्या मामलों में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अबतक प्रदेश में 187 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। विगत वर्षों की तुलना में कोरोना काल के दौरान एकाएक आत्महत्याओं के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है।

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प्रदेश में हर साल करीब 400 से 450 के खुदकुशी के मामलें सामने आते हैं। यानी साल के 4 महीने की बात करें तो यह आंकड़ा 150 के करीब रहता हैं, लेकिन इस बार जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक लॉकडाउन के दौरान करीब 187 खुदकुशी के मामलें सामने आ चुके हैं। यानी विगत वर्षों की तुलना इन 4 महीनों में आत्महत्याओं आंकड़ा 20 प्रतिशत बढ़ा है।

जनवरी से अप्रैल के बीच आत्महत्या के मामले

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जनपद नाबालिग बालक नाबालिग बालिका पुरुष महिला
देहरादून 4 2 18 20
हरिद्वार 1 0 27 13
पौड़ी गढ़वाल 0 0 10 3
टिहरी गढ़वाल 0 0 4 5
रुद्रप्रयाग 0 0 3 4
चमोली 0 0 3 0
उधम सिंह नगर 0 0 1 0
नैनीताल 2 0 26 5
चंपावत 0 0 4 1
पिथौरागढ़ 0 0 8 5
बागेश्वर 0 0 1 3

पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते 1 जनवरी से लेकर 30 अप्रैल तक लॉकडाउन के दौरान राज्य में सबसे अधिक 117 पुरुषों ने आत्महत्या की है, जबकि 60 महिलाओं और इस 10 नाबालिगों ने खुदकुशी की है। आत्महत्या के मामले में पुलिस के आला अधिकारियों का भी मानना है कि लॉकडाउन के कारण घर पर बंधे रहने के दौरान कई तरह के तनाव बढ़े हैं। तमाम तरह के रोजगार के साधन बंद होने से लेकर नौकरीपेशा और व्यापार जैसे अन्य कार्य बंद होने से लोगों में नकारात्मकता पैदा हुई है। इसके साथ ही बाहर जाने की आजादी नहीं मिलने से भी लोगों में तनाव बढा है। जिसकी वजह से डिप्रेशन में आकर खुदकुशी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

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