Home उत्तराखंड सावन का पहला सोमवार: देवभूमि के इस मंदिर में हैं लाखों शिवलिंग...

सावन का पहला सोमवार: देवभूमि के इस मंदिर में हैं लाखों शिवलिंग मौजूद, मनोकामनाएं करते हैं पूरी

देवभूमि उत्तराखंड वो जगह जहाँ पैदा होने के लिए खुद भगवान भी तरसते हैं। यहाँ हर जगह की अपनी एक विशेषता है अपनी एक पहचान। चारधामों से लेकर प्राचीन मंदिरों तक, पंचप्रयाग से लेकर हिमालय तक, न जाने ये पूरा प्रदेश अपने में क्या क्या खूबियाँ समेटे हुए है। इन दिनों पूरे भारत में सावन का पवित्र माह चल रहा है और कांवड़ यात्रा जोरों पर है। भगवान शिव को ये महीना सबसे अधिक प्रिय होता है। देवभूमि उत्तराखंड में वैसे तो अनेक शिव मंदिर हैं जो अपनी मान्यताओं और खूबियों के लिए दुनियांभर में प्रसिद्ध हैं। पर सावन के इस पहले सोमवार को हम आपको एक अलग शिव मंदिर से यहाँ रूबरू करवा रहे हैं।

कोटेश्वर महादेव जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से तीन किमी. चोपड़ा मोटरमार्ग पर अलकनंदा नदी तट पर स्थित है। यहां भगवान शिव कण कण में विराजमान हैं। कोटेश्वर मंदिर हिन्दुओं का प्रख्यात मंदिर है। कोटेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कोटेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में किया था, इसके बाद 16 वी और 17 वी शताब्दी में मंदिर का पुन: निर्माण किया था। चारधाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही स्थानीय लोग आस-पास जनपदों से इस मंदिर में दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय कोटेश्वर मंदिर में स्थित गुफा में साधना की थी।

एक अन्य पौराणिक मान्‍यता के अनुसार भस्मासुर नामक राक्षस ने तपस्‍या कर शिव से किसी भी व्यक्ति के सिर पर हाथ रखने पर भस्म करने का वरदान मांगा लिया था। वरदान पाने के बाद राक्षस ने भगवान शिव को भस्म करने की सोची। भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव इसी गुफा में छिपे थे। इस गुफा वाले मंदिर के आसपास शांतिमय और सम्मोहित कर देने वाला माहौल है। मान्यता है कि कौरवों की मृत्यु के बाद जब पांडव मुक्ति का वरदान मांगने के लिए भगवान शिव को खोज रहे ‌थे तो शिव इसी गुफा में ध्यानावस्था में रहे थे।

गुफा के अंदर मौजूद प्राकृतिक रूप से बनी मूर्तियां और शिवलिंग यहां प्राचीन काल से ही स्थापित है। यहां लाखों की संख्या में शिवलिंग हैं। यह पूरी भूमि भगवान शिव की है। तल्लानागपुर के साथ ही पूरे उत्तराखंडवासियों और चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। सीधी खड़ी बड़ी चट्टानों के बीच से निकलते पेड़ और चट्टानों पर लगी विशेष किस्म की वनस्पतियों के बीच शांत अलकनंदा की सुंदरता देखते ही बनती है।


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here