देशभर में कई बड़े मंदिर आम भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं, उसी में शामिल उत्तराखंड के चारधाम यमनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा कुछ नियमों के साथ खुल गयी है। बद्रीनाथ देश के चार धामों में से एक है। यहां भगवान को बद्रीतुलसी विशेष रूप से अर्पित की जाती है। जानिए बद्रीतुलसी से जुड़ी खास बातें…
बद्रीतुलसी भगवान बदरीनाथजी को विशेष प्रिय है। मंदिर में इस तुलसी की महक फैली रहती है। ब्रह्मवैवर्तपुराण में तुलसी के संबंध में लिखा है कि-
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या दृष्ट्वा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपु: पावनी।
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी।।
प्रत्यासतिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता।
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः।।
ब्रह्मवैवर्तपुराण के इस श्लोक में लिखा है कि तुलसी दर्शन मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। तुलसी स्पर्श से देह शुद्ध करने वाली, प्रणाम करने से रोगों को दूर करने वाली, जल चढ़ाने से यमराज का भय दूर करने वाली, पौधा लगाने से भगवान के समीप पहुंचाने वाली और भगवान के चरणों में अर्पित करने से मोक्ष प्रदान करने वाली तुलसी को प्रणाम है।
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बद्रीनाथ धाम में रोज तुलसी की मालाएं चढ़ाई जाती हैं। ये माला माल्या पंचायत और बामणी गांव के लोगों द्वारा बनाई जाती है। बद्रीनाथजी की आरती पवन मंद सुगंध शीतल लाइन आती है। इस लाइन में जो सुगंध शब्द की बात आई है, वह इसी बद्रीतुलसी से संबंधित है। तुलसी की महक यहां के वातावरण को पवित्र बनाती है।