हर रोज हमें अपने प्रदेश उत्तराखंड के लोगों के ऐसे किस्से देखने और सुनने को मिल जाते हैं जिससे हमारी छाती चौड़ी हो जाती है, क्यूंकि उत्तराखंड की मिट्टी ही ऐसी है जो हमेशा वीर और साहसी लोगों को पैदा करती है ऐसे ही आज हम एक और किस्से से यहाँ आपको रूबरू करा रहे हैं और ये किस्सा इसलिए भी ख़ास है क्यूंकि ये भारत में नहीं बल्कि सात समंदर पार की घटना है और इस घटना ने पूरे उत्तराखंडियों और देश का रुतबा बहादुरी के लिए पूरी दुनियां में बड़ा दिया है।
उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले के बाजपुर के ग्राम बिराहा फार्म निवासी सरदार कृपाल सिंह के बेटे हैं अजीतपाल सिंह साल 2004 में इंटरमीडिएट पूरा करने के बाद अजीतपाल सिंह ने मर्चेंट नेवी की तैयारी दिल्ली जाकर शुरू कर दी थी। होनहार होने के कारण अपने पहले ही प्रयास में अजीतपाल सिंह को नार्वे की कंपनी में नौकरी मिल गई और पिछले कुछ सालों की कड़ी मेहनत के बल पर अजीतपाल 2017 में कैप्टन बन गए थे। हाल की ही बात है जब अजीतपाल सिंह वापस अपने घर आये और यहाँ तीन महीने की छुट्टी बिताकर वो 22 मई को वापस अमेरिका चले गये थे।
उसके बाद बतौर शिप कैप्टन दूसरी बार नार्वे (ब्राजील) कंपनी जैकमार ऐरो का शिप लेकर उन्हें भेजा गया इस दौरान अजीतपाल का शिप 25-26 मई को कैरेबियन सागर की तरफ चल पड़ा था उसके 30 मई को डोमिनिकन रिपब्लिक देश के समीप जैसे ही उनका जहाज चल रह था उन्हें अपने संचार तंत्र द्वारा अपातकालीन संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें उनसे मदद की गुहार लगाई गयी थी। उसके बाद जैसे ही ये संदेश शिप कैप्टन अजीतपाल सिंह को मिला उन्होंने अपना जहाज अपातकालीन संदेश वाली दिशा की ओर मोड़ दिया और ये वो दिशा थी जहाँ समुद्र के अंदर तेज हवाओं व भयंकर समुद्री लहरों का उफान जारी चल रहा था पर इन सबसे कैप्टेन जरा भी भयभीत नहीं हुए और फिर उस जगह पहुँच ही गये जहाँ से ये सन्देश मिल रहा था।
इसके बाद उन्होंने वहां पर देखा कि एक माता-पिता अपनी मासूम बच्ची के साथ समुद्री नौका के पलटने के चलते उसकी रेलिंग से झूल रहे हैं फिर तत्काल अजीतपाल ने साहस का परिचय देते हुए बच्ची व उसके माता-पिता को रेस्क्यू करके उस जगह से बाहर निकाला, जैसे ही वो उन समुद्री लहरों से बाहर निकले उन्होंने अजीतपाल को अपने गले से लगा लिया क्यूंकि ये कैप्टेन ही उनके लिए भगवान का फरिस्ता बनकर वहां आया था। इसके बाद जैसे ही यूएस कोस्ट गार्ड को ये सारी जानकारी मिली उन्होंने अजीतपाल की इस बहादुरी की सराहना करते हुए उन्हें सम्मान पत्र दिए जाने की बात कही। उसके बाद जिसने भी ये बात सुनी वो अजीतपाल सिंह के जज्बे और बहादुरी की तारीफ करने लगा है।