अगर आपमें कुछ कर दिखाने का जज्बा हो और आपको अपनी मेहनत और काबिलियत पर भरोसा हो तो तो सफलता जरूर आपके कदम चूमती है। ऐसा ही उदाहरण दिया है उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर नौगांव के कोटियालगांव निवासी योगेश बंधानी ने। बात है साल 2006 की जब आजीविका के लिए योगेश ने एनजीओ में नौकरी शुरू की थी लेकिन 2013 में नौकरी छोड़ी और दस महीने के उतार-चढ़ाव के बाद अपना स्वरोजगार स्थापित करने में सफलता पाई। जिसके बाद उन्होंने आसपास के अन्य लोगों को भी रोजगार दिया।
महज 183 रुपये से स्क्वैश बनाने का काम इस दौरान उन्होंने शुरू किया था। आज योगेश की आमदनी लाखों में है। वो हर साल 25 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। साल 2006 से 2013 तक वो एक एनजीओ में काम करते थे, पर मन में कुछ और करने की इच्छा थी। साल 2013 में उन्होंने हिम्मत जुटाई और नौकरी छोड़ दी। अपना काम स्थापित करना आसान नहीं होता। योगेश को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पर उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद खाने के शौक की वजह से खाद्य प्रसंस्करण यूनिट पर काम करना शुरू किया। मेरा पहला उत्पाद 10 लीटर लेमन स्क्वैश था, जो किचन गार्डन में लगे नीबू से बनाया। इसके लिए 183 रुपये खर्च हुए। इसे मैंने 500 में अपने ही घरवालों को बेचा।
साल 2015 में उन्होंने बैंक से 4 लाख का लोन लिया। अगले साल 2016 में उनकी शादी देहरादून की रहने वाली ऋचा से हुई। पति-पत्नी साथ मिलकर काम करने लगे। कोटियालगांव में ही दो हजार वर्ग फीट में युवा हिमालय एग्रो फूड प्रोडक्ट्स नाम से अपने उद्योग की स्थापना की। गांव की 20 महिलाओं को वो जहाँ प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहे हैं वहीँ लगभग 200 ग्रामीणों को अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार से जोड़ा है। आज योगेश की फैक्ट्री में स्क्वैश, चटनी, जैम, अचार, जूस और दूसरे कई प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। इसके लिए वो स्थानीय लोगों से कच्चा माल खरीदते हैं।