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आधे घंटे पहले मिल जायेगी बादल फटने की जानकारी, देवभूमि को होगा इससे बहुत लाभ

उत्तराखंड में अगर किसी चीज से सबसे अधिक नुकसान होता है तो वो है बारिश, हर साल बरसात के मौसम में स्थिति बहुत ही ज्यादा विकट हो जाती है लोग अपने घरों में दबे सहमे रहते हैं और हर साल इस वजह से उत्तराखंड को बहुत अधिक जान-माल की हानि होती है और साल 2013 में आयी केदारनाथ आपदा के बाद से तो स्थिति और भी ज्यादा भायावह है। अब इसी सब से बचने के लिए मौसम विभाग ने एक अनूठी पहल की है जिसके तहत अब बादल फटने की चेतावनी करीब आधे घंटे पहले ही मिल जायेगी, बारिश के आंकलन और रडार के आंकड़ों के आधार को गढ़ना करके मौसम विभाग ये चेतावनी जारी करेगा, उत्तराखंड के लिए ये बात वरदान साबित हो सकती है क्यूंकि आधा घंटा काफी होता है सतर्क हो जाने के लिए और खुद को सुरक्षित रखने के लिए।

इस सिस्टम के चालू हो जाने के बाद उत्तराखंड में जान-माल के हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है, आपको बता दें कि बादल फटना उस घटना को कहते हैं जब किसी जगह पर एक साथ 100 मिमी या उससे ज्यादा बारिश होती है, और इतनी ज्यादा बारिश किसी भी इलाके में तबाही मचाने के लिए काफी होती है। लेकिन अब इस सबसे बचने के लिए मौसम विभाग ने अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसति कर लिया है इस सिस्टम के चालू हो जाने के बाद इसका सबसे ज्यादा फायदा उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों को मिलेगा।

आपको बता दें कि उत्तराखंड में 25 ऑटोमैटिक वेदर सिस्टम और रेन गेज लगे हुए हैं जिसके जरिये मौसम विभाग को हर 15 मिनट में बारिश की सटीक जानकारी मिलती है और रडार के द्वारा भी बादलों की स्थिति पर हर समय नजर रहती है। अभी तक उत्तराखंड में मौसम की स्थिति के लिए रडार नहीं लगे हैं इसके लिए प्रदेश को पटियाला और दिल्ली पर निर्भर रहना होता है जिसके कारण बहुत बार सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसीलिए प्रदेश सरकार ने साल 2020 तक उत्तराखंड में भी 3 रडार लगाने का निश्चय किया है इनमें से एक रडार मसूरी में दूसरा मुक्तेश्वर में और तीसरा पौड़ी, चमोली और अल्मोड़ा के बीच लगाया जाएगा।


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